बिड़ला परिसर में सांस्कृतिक प्रस्तुतियों और प्रेरक संबोधनों के बीच विश्वविद्यालय की ऐतिहासिक यात्रा को किया गया याद
हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय का 52वां स्थापना दिवस बिड़ला परिसर, श्रीनगर में अत्यंत उत्साह, गरिमा और सांस्कृतिक उल्लास के साथ मनाया गया।
कार्यक्रम में विद्यार्थियों, शिक्षकों एवं कर्मचारियों की सक्रिय सहभागिता ने आयोजन को एक भव्य स्वरूप प्रदान किया।

स्थापना आंदोलन की ऐतिहासिक गाथा से परिचित हुए छात्र
मुख्य अतिथि एवं विश्वविद्यालय आंदोलन समिति के वरिष्ठ सदस्य श्री विक्रम सिंह चौहान ने छात्रों को विश्वविद्यालय स्थापना आंदोलन की संघर्षपूर्ण और प्रेरणादायक यात्रा से अवगत कराया।
अपने संबोधन में उन्होंने बताया कि किस प्रकार स्वामी मनमंथन और आम जनता के जनांदोलन के संकल्प से 1 दिसंबर 1973 को गढ़वाल विश्वविद्यालय की स्थापना संभव हो सकी।
उन्होंने कहा कि यह विश्वविद्यालय सिर्फ एक शैक्षणिक संस्थान नहीं बल्कि जनचेतना और जनसंघर्ष की जीवंत मिसाल है, जिसे आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी वर्तमान छात्र पीढ़ी पर है।

सांस्कृतिक प्रस्तुतियों ने बढ़ाई आयोजन की गरिमा
स्थापना दिवस समारोह के दौरान छात्रों द्वारा प्रस्तुत रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रमों ने उपस्थितजनों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
नृत्य, गीत और नाट्य प्रस्तुतियों के माध्यम से छात्रों ने विश्वविद्यालय की परंपरा, संस्कृति और सामाजिक भूमिका को प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत किया।
कुलपति की अध्यक्षता में संपन्न हुआ आयोजन
कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रभारी कुलपति प्रो. एम.एम.एस. रौथाण ने की। इस अवसर पर अधिष्ठाता छात्र कल्याण प्रो. ओ.पी. गुसाईं ने कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत करते हुए अतिथियों का स्वागत किया।
वहीं प्रभारी कुलसचिव अनीश ने आयोजन की सफलता के लिए सभी प्रतिभागियों, आयोजकों और विद्यार्थियों का आभार व्यक्त किया।
इस अवसर पर विश्वविद्यालय के अनेक वरिष्ठ अधिकारी और शिक्षकगण उपस्थित रहे, जिनमें प्रमुख रूप से मुख्य नियंता प्रो. एस.सी. सती, छात्रावास अधीक्षक डॉ. एस.एस. बिष्ट सहित विभिन्न विभागों के प्राध्यापक और कर्मचारी समेत कई छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।
















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