गलत इंजेक्शन से छात्र की हालत नाज़ुक
HNBGU के छात्रों ने उठाई आवाज़, उच्चस्तरीय जांच और मुआवजे की मांग
हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय के छात्रों ने बेस अस्पताल श्रीनगर पर गंभीर चिकित्सकीय लापरवाही का आरोप लगाते हुए मामले की उच्चस्तरीय जांच और पीड़ित छात्र के लिए मुआवजे की मांग की है।
छात्रों का कहना है कि गलत तरीके से लगाए गए इंजेक्शन ने एक सहपाठी की सेहत और भविष्य को भारी नुकसान पहुंचाया है।
इंजेक्शन से शुरू हुई समस्या,
बी.एस-सी. बायोटेक्नोलॉजी के छात्र आकाश बोहरा को 28 अगस्त 2025 को हॉस्टल के पास खेलते समय पैर में चोट लगी थी। वे उपचार के लिए बेस अस्पताल पहुंचे, जहां एक इंटर्न ने उन्हें टिटनेस का इंजेक्शन लगाया।
छात्रों का आरोप है कि इंजेक्शन गलत तकनीक से लगाया गया, जिसके बाद कुछ दिनों में आकाश को पूरे शरीर पर रैशेज, तेज सूजन, असहनीय दर्द और लगातार कमजोरी महसूस होने लगी।
तीन सप्ताह तक स्थानीय अस्पताल ने केवल दवाइयों से मामला टाल दिया। हालात बिगड़ने पर दिल्ली AIIMS में जांच कराई गई, जहां पता चला कि आकाश के बाएं कंधे में Posterior Labral Cyst बन गया है और अंदर बड़े स्तर पर fluid collection जमा है।
रिपोर्ट के अनुसार हड्डियों पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है और आकाश को लगभग 2 लाख रुपये की तात्कालिक सर्जरी की आवश्यकता है।
परिवार आर्थिक संकट में, छात्र गंभीर अवसाद में
छात्र आकाश का परिवार अत्यंत आर्थिक तंगी से जूझ रहा है।
उनके पिता हाई ब्लड प्रेशर के मरीज हैं और मां 13 साल पुराने सिर की गंभीर चोट से आज भी उपचाराधीन हैं।
सर्जरी के भारी खर्च के चलते परिवार इसे वहन करने की स्थिति में नहीं है। लगातार दर्द और मानसिक तनाव के कारण आकाश की पढ़ाई भी लगभग रुक चुकी है। साथी छात्रों के अनुसार वह शारीरिक पीड़ा के साथ-साथ मानसिक अवसाद से भी गुजर रहा है।
छात्रों ने प्रधानाचार्य को सौंपा पत्र, कई उच्च अधिकारियों को भेजी प्रतियां
22 नवंबर को विश्वविद्यालय के कई छात्रों आकाश, नितिन मलेठा, गोविंद, श्रीकांत, अमन और अंकित ने प्रधानाचार्य, वीर चन्द्र सिंह गढ़वाली राजकीय आयुर्विज्ञान एवं शोध संस्थान को विस्तृत शिकायत पत्र सौंपा।
इस पत्र की प्रतियां मुख्यमंत्री उत्तराखंड, चिकित्सा शिक्षा निदेशक, स्वास्थ्य महानिदेशक, CMO पौड़ी गढ़वाल, कुलपति HNBGU और उत्तराखंड मेडिकल काउंसिल को भी भेजी गई हैं।
छात्रों की प्रमुख मांगें
छात्रों ने अपनी शिकायत में निम्न मांगें रखी हैं:
- चिकित्सकीय लापरवाही की तत्काल उच्चस्तरीय जांच।
- जिम्मेदार इंटर्न और संबंधित अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई।
- पीड़ित छात्र के पूरे इलाज, सर्जरी, दवाइयों और यात्रा खर्च की जिम्मेदारी सरकार/अस्पताल उठाए।
- पढ़ाई के नुकसान और मानसिक-शारीरिक पीड़ा के लिए उचित मुआवजा।
छात्रों का कहना है कि अगर समय रहते कार्रवाई नहीं हुई तो वे आंदोलन का रास्ता अपनाने के लिए भी बाध्य होंगे।
मामले ने चिकित्सा व्यवस्थाओं पर खड़े किए सवाल
यह मामला न केवल एक छात्र की जिंदगी पर असर डाल रहा है, बल्कि अस्पतालों में प्रशिक्षुओं की निगरानी, इंजेक्शन तकनीक, मरीज देखभाल और जवाबदेही को लेकर भी गंभीर प्रश्न खड़े करता है। फिलहाल प्रशासनिक स्तर पर किसी प्रतिक्रिया का इंतजार है।

















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