देशभर में श्रद्धांजलि कार्यक्रम
आज 6 दिसंबर को भारत भर में डॉक्टर भीमराव आंबेडकर का महापरिनिर्वाण दिवस श्रद्धा और सम्मान के साथ मनाया गया।
राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और कई प्रमुख नेताओं ने बाबा साहेब की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी।
कई राज्यों में सरकारी कार्यक्रमों के साथ-साथ सामाजिक संगठनों द्वारा विशेष आयोजन किए गए।
चैत्यभूमि में उमड़ा जनसैलाब
मुंबई स्थित चैत्यभूमि में सुबह से ही श्रद्धालुओं की भारी भीड़ देखने को मिली।
हजारों लोगों ने वहां पहुंचकर बाबा साहेब को नमन किया।
स्थिति को देखते हुए पुलिस और प्रशासन की ओर से विशेष सुरक्षा व्यवस्था की गई। ट्रैफिक नियंत्रित किया गया और चिकित्सा दल भी तैनात रहे।
संविधान निर्माता को राष्ट्र का नमन
डॉ. भीमराव आंबेडकर भारतीय संविधान के शिल्पकार थे।
उन्होंने समाज को समानता, स्वतंत्रता और न्याय का मार्ग दिखाया। उनके योगदान के कारण ही आज देश में हर नागरिक को अधिकार प्राप्त हुए हैं।
सामाजिक न्याय की आवाज़
बाबा साहेब ने अपने जीवन में जातिवाद और भेदभाव के खिलाफ संघर्ष किया।
उन्होंने दलितों, पिछड़ों और वंचितों को अधिकार दिलाने की लड़ाई लड़ी। आज भी उनका संघर्ष सामाजिक बदलाव की मिसाल माना जाता है।
शिक्षा पर विश्वास
डॉ. आंबेडकर शिक्षा को सबसे बड़ा हथियार मानते थे।
उनका प्रसिद्ध कथन
“शिक्षा शेरनी का दूध है, जो पिएगा वह दहाड़ेगा,”
आज भी युवाओं को प्रेरित करता है।
संकल्प का दिन
महापरिनिर्वाण दिवस केवल श्रद्धांजलि का अवसर नहीं बल्कि संविधान की रक्षा और सामाजिक समानता के संकल्प का दिन भी है।
देशभर में लोगों ने बाबा साहेब के सपनों का भारत बनाने का संकल्प लिया।
















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