किरन देसाई रह गईं पीछे
साल 2025 के लिए प्रतिष्ठित बुकर प्राइज (Booker Prize 2025) का ऐलान हो गया है। इस बार यह सम्मान डेविड स्ज़ाले (David Szalay) को उनके उपन्यास Flesh के लिए मिला है।
बुकर विजेता को हर साल 50 हज़ार पाउंड (करीब 60 लाख रुपये) की राशि दी जाती है।
Booker Prize अंग्रेजी भाषा के सर्वश्रेष्ठ मौलिक उपन्यास को दिया जाता है, जिसकी पहली प्रति ब्रिटेन या आयरलैंड में प्रकाशित हुई हो।
इस साल की शॉर्टलिस्ट में छह किताबें थीं, जिनमें भारतीय लेखिका किरन देसाई का उपन्यास The Loneliness of Sonia and Sunny भी शामिल था, लेकिन वह पुरस्कार जीत नहीं सकीं।

Flesh की कहानी क्या है
डेविड स्ज़ाले का Flesh एक तेज़, गहरी और संवेदनशील कहानी है जो हंगरी के एक किशोर की ज़िंदगी से शुरू होकर लंदन की सामाजिक-आर्थिक दुनिया तक पहुँचती है।
उपन्यास आधुनिक जीवन की दौड़, इच्छाओं और टूटन के बीच इंसान की पहचान तलाशने की कहानी कहता है।
किरन देसाई
भारत की बुकर विजेता लेखिका किरन देसाई, जिन्हें इससे पहले The Inheritance of Loss के लिए अंतरराष्ट्रीय पहचान मिली थी, इस बार The Loneliness of Sonia and Sunny के साथ शॉर्टलिस्ट में पहुंचीं।
यह उपन्यास दो युवाओं की कहानी है, जो अलग-अलग देशों और दौरों में अपने रिश्ते, करियर और पहचान के संघर्ष से गुजरते हैं।

बुकर प्राइज का महत्व
बुकर प्राइज को साहित्य जगत के सबसे बड़े सम्मान में गिना जाता है। इससे पहले सलमान रश्दी, अरुंधति रॉय, केरेन टेलर और मार्गरेट एटवुड जैसे दिग्गज लेखक यह पुरस्कार जीत चुके हैं।
भारतीय मूल के छह लेखक अब तक बुकर विजेता रहे हैं।
इस साल के विजेता की घोषणा लंदन के ओल्ड बिलिंग्सगेट हॉल में हुई। निर्णायक मंडल ने Flesh को “हमारे समय की जटिल मानवीय भावनाओं की साहसिक और बेबाक पड़ताल” बताया।

















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