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केरल में SIR पर रोक की मांग खारिज

हाईकोर्ट ने कहा ‘चुनौती सुप्रीम कोर्ट में लंबित’

निकाय चुनाव से पहले सरकार को झटका, SC जाने का रास्ता खुला

केरल सरकार द्वारा स्थानीय निकाय चुनाव तक स्पेशल इंटेंसिव रिविज़न (SIR) रोकने की अपील को हाईकोर्ट ने बड़ी टिप्पणी के साथ खारिज कर दिया।

अदालत ने साफ कहा कि SIR से जुड़ी मुख्य याचिकाएं पहले से ही सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन हैं, इसलिए हाईकोर्ट इस चरण में हस्तक्षेप नहीं कर सकता। इसके साथ ही सरकार को सुप्रीम कोर्ट का रुख करने की सलाह दी गई।

सरकार की दलील: चुनाव प्रक्रिया प्रभावित होगी

राज्य सरकार ने दायर याचिका में कहा था कि 13 दिसंबर को होने वाले निकाय चुनावों की वजह से मतदाता सूची की गहन पुनरीक्षण प्रक्रिया चुनावी कामकाज में बाधा डाल सकती है। इसलिए SIR को फिलहाल रोका जाए।

सरकार ने इस याचिका में ECI और SEC दोनों को पक्षकार बनाया था।

सुनवाई के दौरान जस्टिस वी.जी. अरुण ने पूछा कि जब SIR की वैधता का मुद्दा सर्वोच्च न्यायालय में लंबित है, तो हाईकोर्ट क्यों इस पर अलग से विचार करे?

सरकार का तर्क था कि वह SIR को चुनौती नहीं दे रही, केवल इसे चुनाव तक टालने की मांग कर रही है।

लेकिन अदालत ने कहा कि मामला किसी भी रूप में SIR से जुड़ा है, और सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए दिशानिर्देशों का सम्मान करना न्यायिक अनुशासन का हिस्सा है।

चुनाव आयोग की आपत्ति

ECI की ओर से यह प्रस्तुत किया गया कि देश के कई हिस्सों से SIR रोकने की विभिन्न मांगें पहले से सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच चुकी हैं। इसलिए किसी भी प्रकार का अलग निर्देश भ्रम पैदा करेगा।

अदालत ने अंत में साफ कहा “सुप्रीम कोर्ट में इस विषय पर पहले से विचार जारी है, इसलिए हम इस याचिका को स्वीकार नहीं कर सकते। राज्य चाहे तो सर्वोच्च न्यायालय में जा सकता है।”

क्या करता है SIR

SIR यानी विशेष गहन पुनरीक्षण, जिसमें

  • मतदाताओं की मौजूदगी की पुष्टि
  • मृत या स्थानांतरित मतदाताओं की एंट्री हटाना
  • फर्जी व डुप्लीकेट नामों को चिह्नित करना जैसी प्रक्रियाएँ की जाती हैं।

मतदाता सूची को अद्यतन रखने के लिए चुनाव आयोग समय–समय पर यह अभियान चलाता है।

https://regionalreporter.in/asia-cup-rising-stars-2025/
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