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ढिकाला और बिजरानी जोन में 6 साल बाद फिर शुरू होगी हाथी सफारी

दिसंबर से मिलेगा रोमांचक अनुभव

शीतकाल में पर्यटकों के लिए खुशखबरी, स्टेट वाइल्डलाइफ बोर्ड की मंजूरी के बाद जारी हुआ आदेश

कॉर्बेट टाइगर रिजर्व से सर्द मौसम में पर्यटकों के लिए बड़ी राहत की खबर आई है। लगभग 6 वर्षों से बंद पड़ी हाथी सफारी को आखिरकार फिर से अनुमति मिल गई है।

देहरादून स्थित चीफ वाइल्डलाइफ वार्डन द्वारा आदेश जारी होते ही देश-विदेश के पर्यटकों में उत्साह बढ़ गया है।

यह फैसला जून 2024 में हुई स्टेट वाइल्डलाइफ बोर्ड की बैठक में सिद्धांत रूप से मंजूर किया गया था, जिसके बाद विभागीय औपचारिकताएं पूरी होते ही इसे लागू कर दिया गया है।

ढिकाला और बिजरानी जोन में फिर गूंजेगी हाथियों की घंटियाँ

जारी आदेश के अनुसार:

  • ढिकाला जोन में 2 हाथियों से सफारी चलेगी
  • बिजरानी जोन में 1 हाथी सफारी के लिए तैनात रहेगा
  • सुबह और शाम, दोनों शिफ्टों में हाथी सफारी संचालित होगी
  • पर्यटकों के लिए दो-दो निर्धारित रूट बनाए गए हैं

ढिकाला में रामगंगा नदी, विशाल घास के मैदान और घने जंगल सफारी को रोमांचक बना देंगे। बिजरानी में भी पर्यटक दो घंटे की जर्नी के दौरान वन्यजीवों का बेहद करीब से अनुभव कर पाएंगे।

शुल्क और टिकट प्रक्रिया

कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के निदेशक डॉ. साकेत बडोला ने बताया कि:

  • भारतीय नागरिक: ₹1000 प्रति व्यक्ति
  • विदेशी नागरिक: ₹3000 प्रति व्यक्ति
  • एक हाथी में अधिकतम 5 लोग (बच्चों सहित) बैठ सकते हैं
  • 5 वर्ष से कम आयु के बच्चों का शुल्क नहीं लगेगा
  • टिकट केवल रिसेप्शन सेंटर से ही उपलब्ध होंगे
  • टिकट वितरण — पहले आओ, पहले पाओ

2018 में बंद हुई थी हाथी सफारी

वर्ष 2018 में उत्तराखंड हाईकोर्ट ने

  • पशु क्रूरता निवारण अधिनियम 1960
  • वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972

का हवाला देते हुए पार्क में हाथियों के व्यावसायिक उपयोग पर रोक लगा दी थी। इसके बाद हाथी सफारी पूरी तरह बंद हो गई।

पर्यटन व्यवसायी, गाइड, महावत और स्थानीय समुदाय लगातार मांग कर रहे थे कि सफारी को नियमों और सुरक्षा प्रोटोकॉल के साथ फिर से शुरू किया जाए।

अब सरकार और विभाग द्वारा संवेदनशील और नियंत्रित मॉडल तैयार करने के बाद सफारी फिर बहाल कर दी गई है।

पर्यटकों को मिलेगा अनुभव

हाथी सफारी की खासियत है कि इंजन के शोर से दूर जंगल का प्राकृतिक रूप बेहद शांत और वास्तविक तरीके से दिखाई देता है।

हाथी की ऊँचाई से—

  • ग्रासलैंड
  • नदी क्षेत्र
  • जंगल के संकरे हिस्से
  • हिरण, हाथी, पक्षियों और कई बार बाघ-तेंदुए

की गतिविधियों को करीब से देखने का मौका मिलता है। ढिकाला का रामगंगा किनारा हाथी सफारी को सबसे अनोखा अनुभव बनाता है।

स्थानीय लोगों और पर्यटन व्यवसाय में खुशी की लहर

जैसे ही आदेश जारी हुआ, स्थानीय होमस्टे संचालक, महावत, गाइड, होटल व्यवसायी और वन्यजीव प्रेमी बेहद उत्साहित हो गए। उनका कहना है:

  • पर्यटक हमेशा हाथी सफारी की खास मांग करते थे
  • सफारी से स्थानीय अर्थव्यवस्था को बड़ा लाभ होगा
  • नियंत्रित और सुरक्षित मॉडल तैयार कर फिर शुरू करना सही निर्णय है

दिसंबर के पहले सप्ताह से शुरू होगी सफारी

कॉर्बेट प्रशासन की कोशिश है कि हाथी सफारी दिसंबर के पहले सप्ताह से शुरू हो जाए, ताकि क्रिसमस और न्यू ईयर सीजन के दौरान हजारों पर्यटक इसका आनंद उठा सकें।

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