दून समग्र विकास अभियान की और से जन संगठनों एवं विपक्षी दलों का सृष्ट्मंडल मुख्य सचिव के नाम पर ज्ञापन सौंपते हुए सरकार पर आरोप लगाया कि प्रस्तावित एलिवेटेड रोड परियोजना को लेकर “सोशल इम्पैक्ट असेसमेंट” के नाम पर जो “अंतिम रिपोर्ट” जारी हुआ है, उसमें सिर्फ और सिर्फ संवेदनहीनता, लापरवाही एवं क़ानूनी उलंघन दिखाए दे रहे हैं।
अगर सरकार की नियत साफ़ है, तो वह बार-बार कानून की धज्जियां उड़ा कर, ज़रूरी तथ्यों को छुपा कर, जनता के सवालों के जवाब देने से क्यों बच रही है?
जन सुनवाइयों में जनता ने इस परियोजना की आवश्यकता, इसका असर एवं इसके डिज़ाइन पर लगातार विरोध किया, जिसके बारे में मीडिया में भी खबर आई थी, लेकिन इस रिपोर्ट में इन बातों पर कोई ज़िक्र ही न कर ऐसे दिखाया जा रहा है जैसे जन सुनवाई में परियोजना को ले कर विरोध ही नहीं हुआ।
इसके अतिरिक्त इस रिपोर्ट में अनेक बुनियादी बिंदुओं पर जैसे मसूरी पर होने वाला असर, रोड का अंतिम नक्शा, पर्यावरण पर होने वाले नुक्सान, प्रभावित लोगों के लिए पुनर्वास योजना, इत्यादि पर कोई जानकारी ही नहीं दी गयी है।
इस समय, जब पूरे राज्य और देहरादून शहर भी आपदाग्रस्त है, इस प्रकार की एक रिपोर्ट को “अंतिम रिपोर्ट” के रूप में जारी करना बेहद निंदनीय एवं चिंताजनक है।
सरकार के खुद की नीति जैसे ड्राफ्ट मास्टर प्लान और कम्प्रेहैन्सिव मोबिलिटी रिपोर्ट में इस परियोजना के बारे में कोई ज़िक्र ही नहीं है, और यातायात की समस्याओं का समाधान के लिए और प्रस्ताव दिए गये हैं।
ज्ञापन द्वारा इन बातों को भी रखी गई है कि 400 से अधिक बसे खरीदने से, महिलाओं, वरिष्ठ नागरिकों एवं छात्रों के लिए बस टिकट मुफ्त करने से, शहरों में रोजगार गारंटी द्वारा किफायती आवास बनाने से, एवं ऐसे अन्य सुझावों द्वारा हरित विकास के लिए लक्ष्य बनाया जा सकता है।
इन सारे बातों को ध्यान में रखते हुए इन तथाकथित SIA रिपोर्ट को रद्द किया जाये, विनाशकारी एवं जन विरोधी एलिवेटेड रोड परियोजना को भी रद्द किया जाये, और उसकी जगह में इन सुझावों पर गंभीरता से विचार किया जाये।
बताया जाए कि बीते दिनों में जिलाधिकारी देहरादून के वेबसाइट पर रिस्पना बिंदाल एलिवेटेड कॉरिडोर को लेकर “अन्तिम सामाजिक एस0आई0ए0 अध्ययन का सार तथा एस0आई0एम0पी0 रिपोर्ट के सार” के नाम से दो रिपोर्ट अपलोड की गई है। यह रिपोर्ट भू अधिग्रहण प्रक्रिया का एक भाग है।
सृष्ट मंडल में सर्वोदय मंडल उत्तराखंड के Adv हरबीर सिंह कुशवाहा, चेतना आंदोलन के शंकर गोपाल, दून सिटीजन्स फोरम के रमना कुमार, तंजीम ए रहनुमा ए मिल्लत के लताफत हुसैन और नवयुग जाग्रति मोर्चा के अल्माज़उद्दीन सिद्दीकी शामिल रहे।
ज्ञापन प्रस्तुत करते हुए कुछ अहम मुद्दों पर संज्ञान लेने कि बात कही गई है जिनमें कि कुछ निम्न है
- आंकड़ों द्वारा नापे गए कोई भी सामाजिक प्रभाव। परियोजना के बारे में कोई जानकारी दिए बिना ही लोगों से अपने विचार देने के लिए कहा गया है। इस प्रक्रिया से परियोजना का वास्तविक असर पता नहीं चल पायेगा।
- इस परियोजना के लिए आवश्यक पुनर्वास अन्य उपायों की लागत और आवश्यकताएँ।
- पुनर्वास और पुनर्स्थापन के लिए कोई भी स्थान और योजना।
- देहरादून की वास्तविक यातायात समस्याओं और यह परियोजना उन समस्याओं का समाधान कैसे करेगी, इस पर कोई भी संख्यात्मक डेटा।
- इस परियोजना से वास्तव में किसे लाभ होगा, इस पर कोई भी संख्यात्मक डेटा।
- इस परियोजना की बेहतर विकल्पों से तुलना, जैसे कि बेहतर सार्वजनिक परिवहन, बेहतर यातायात प्रबंधन, या पहाड़ी क्षेत्रों तक पहुँचने के लिए शहर के बाहर वैकल्पिक मार्गों।
- इस परियोजना का मसूरी रोड या मसूरी शहर पर पड़ने वाले प्रभाव का कोई भी डेटा।
- परियोजना का कोई भी अंतिम नक्शा या एलाइनमेंट।
- इस परियोजना का नदियों और बाढ़ पर प्रभाव, और शहर पर पड़ने वाले प्रभाव के बारे में कोई भी जानकारी।
- 10. रिपोर्ट में साक्षात्कार किए गए अधिकांश लोगों ने इस परियोजना के वायु प्रदूषण और आवास पर पड़ने वाले प्रभाव के बारे में गहरी चिंता व्यक्त की, साथ ही अन्य विषयों पर भी। सरकार द्वारा इन चिंताओं को दूर करने के लिए कोई कदम प्रस्तावित नहीं किए गए हैं।
















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