सरकार ने 2,500 से बढ़ाकर 25,000 रुपये कर दी फीस, नया नियम तत्काल प्रभाव से लागू
अगर आपकी गाड़ी 10 साल से ज्यादा पुरानी है, तो अब उसे सड़क पर चलाए रखना और महंगा हो जाएगा। सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (MoRTH) ने पुराने वाहनों के फिटनेस टेस्ट की फीस में भारी बढ़ोतरी कर दी है।
पहले 10 साल से पुरानी गाड़ी के फिटनेस टेस्ट के लिए जहां 2,500 रुपये लगते थे, अब वही फीस बढ़कर 25,000 रुपये कर दी गई है।
यह संशोधन सेंट्रल मोटर व्हीकल्स रूल्स (पांचवां संशोधन) के तहत जारी किया गया है और तत्काल प्रभाव से लागू हो गया है।
फिटनेस टेस्ट फीस में एक झटके में 10 गुना बढ़ोतरी
MoRTH द्वारा जारी अधिसूचना में साफ कहा गया है कि पुरानी गाड़ियों से प्रदूषण ज्यादा होने और सुरक्षा मानकों पर कमजोर पड़ने की वजह से यह शुल्क वृद्धि की गई है।
सरकार का लक्ष्य है कि ज्यादा लोग नई, सुरक्षित और कम प्रदूषण वाली गाड़ियों की ओर शिफ्ट हों।
क्यों बढ़ाई गई फीस- सरकार का तर्क
- पुरानी गाड़ियां प्रदूषण का बड़ा स्रोत बनती हैं
- सड़क सुरक्षा में कई बार फिटनेस समस्या आती है
- स्क्रैप पॉलिसी को बढ़ावा देना है
- स्वचालित फिटनेस केंद्रों को वित्तीय सहायता मिल सके
नई फीस लागू होने के बाद वाहन मालिकों में नाराजगी भी देखी जा रही है। खासकर वे लोग जिनकी गाड़ियां अच्छी हालत में हैं लेकिन सिर्फ उम्र के कारण अधिक फीस देनी पड़ेगी।
एक वाहन मालिक का कहना है “हमारी गाड़ी अच्छी हालत में है, फिर भी 25 हज़ार रुपये सिर्फ फिटनेस के लिए देना बहुत ज्यादा है। यह आम उपभोक्ता पर भारी बोझ है।”
क्या है फिटनेस टेस्ट
पुरानी गाड़ियों को हर साल आरटीओ में फिटनेस टेस्ट कराना होता है, जिसमें यह जांच की जाती है कि वाहन सड़क पर चलने लायक है या नहीं।
इसमें शामिल होते हैं—
- ब्रेक और सस्पेंशन टेस्ट
- इंजन की स्थिति
- कार्बन उत्सर्जन
- सुरक्षा उपकरण
- बॉडी कंडीशन निरीक्षण
सरकार का उद्देश्य सड़क सुरक्षा और प्रदूषण नियंत्रण को मजबूत करना है, लेकिन अचानक दस गुना बढ़ोतरी से लाखों वाहन मालिकों की जेब पर बड़ा असर पड़ेगा।
आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि लोग पुरानी गाड़ियों का फिटनेस टेस्ट करवाते हैं या उन्हें स्क्रैप कर नई गाड़ियों की ओर रुख करते हैं।
















Leave a Reply