सीबीआई जांच की दिशा में बढ़ा कदम
उत्तराखंड हाईकोर्ट ने एलयूसीसी चिटफंड घोटाले में दाखिल नई याचिकाओं को पहले से लंबित जनहित याचिका के साथ जोड़ दिया है।
800 करोड़ रुपये से अधिक के इस घोटाले में हजारों निवेशकों का पैसा फंसा है। अदालत ने सीबीआई से कहा है कि अगली सुनवाई में अपना स्पष्ट पक्ष रखें।
शुक्रवार को हुई सुनवाई में सीबीआई ने अदालत को बताया कि एजेंसी मुख्यालय से जांच को लेकर निर्देश प्राप्त हो चुके हैं। एजेंसी ने कहा कि वे जल्द ही अपना अंतिम पक्ष रखेंगे।
अदालत ने उनकी बात को मानते हुए मामला खंडपीठ को सौंप दिया है।
कैसे सामने आया घोटाला
याचिकाओं में बताया गया कि एलयूसीसी नाम की कंपनी ने वर्ष 2021 में देहरादून, ऋषिकेश और पौड़ी में दफ्तर खोले और स्थानीय एजेंटों के माध्यम से निवेश करवाया।
कंपनी ने सोसायटी रजिस्ट्रेशन एक्ट के तहत पंजीकरण तक नहीं कराया और ऊंचे लाभ का लालच देकर लोगों से करोड़ों रुपये जुटाए।
वर्ष 2023-24 में कंपनी अचानक सभी कार्यालय बंद कर गायब हो गई। जांच में सामने आया कि मुख्य आरोपी दुबई भाग चुका है।
कंपनी बंद होने के बाद निवेशकों ने पैसे की वापसी की मांग शुरू की। दबाव एजेंटों पर आ गया, जबकि एजेंटों का कहना है कि वे भी इस धोखाधड़ी का शिकार हैं। कई जगह निवेशकों और एजेंटों के बीच विवाद की स्थिति बनी। पुलिस द्वारा भी एजेंटों को परेशान किए जाने की शिकायत अदालत में पहुंची।
सरकार और सांसदों की सक्रियता
राज्य सरकार ने मामले की गंभीरता को देखते हुए केंद्र को सीबीआई जांच का प्रस्ताव भेजा है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आश्वासन दिया है कि निवेशकों के साथ किसी तरह का अन्याय नहीं होने दिया जाएगा।
वहीं उत्तराखंड के सांसदों ने दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात कर दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है।
अब यह मामला खंडपीठ के पास सुना जाएगा। हाईकोर्ट ने साफ किया है कि सीबीआई को अगली तारीख पर अपना पक्ष स्पष्ट करना होगा।
हजारों निवेशक उम्मीद लगाए बैठे हैं कि जांच शुरू होते ही घोटाले की सच्चाई सामने आएगी और दोषियों पर शिकंजा कस सकेगा।

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