सरकार से मांगा ठोस रोडमैप
नैनीताल हाईकोर्ट ने राज्य की नदियों में बाढ़, जलभराव और अवैध खनन को लेकर कड़ा रुख अपनाया है। नंधौर, गौला, कोसी, गंगा और दाबका जैसी नदियों से प्रभावित क्षेत्रों पर सुनवाई के दौरान अदालत ने अधिकारियों के जवाबों पर नाराजगी जताई और सरकार को विस्तृत कार्ययोजना पेश करने के निर्देश दिए।
शुक्रवार को खनन विभाग और अन्य संबंधित अधिकारी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पेश हुए। उन्होंने अपना पक्ष रखा, लेकिन अदालत उनके तर्कों से सहमत नहीं हुई।
अदालत ने पूछा कि पिछले आदेशों का पालन क्यों नहीं हुआ और नदियों के चैनलाइजेशन के लिए मशीनरी का इस्तेमाल अब तक क्यों नहीं किया गया।
अवैध खनन पर सवाल
हाईकोर्ट ने कहा कि अब तक जितने भी मामले सामने आए हैं, वे अवैध खनन से जुड़े हैं। अदालत ने इस पर चिंता जताते हुए पूछा कि जब कोर्ट ने पहले ही खनन पर रोक लगाने के आदेश दिए थे तो कार्रवाई क्यों नहीं हुई।
यह सुनवाई आरटीआई कार्यकर्ता भुवन चंद्र पोखरिया की शिकायत पर स्वतः संज्ञान से शुरू हुई। पोखरिया ने कहा कि बरसात के दौरान नदियों का रुख बदलने और मुहाने बंद होने से आबादी वाले क्षेत्रों में बाढ़ की स्थिति बनती है।
इसके चलते हजारों हेक्टेयर वनभूमि, पेड़ और सरकारी ढांचे नष्ट हो जाते हैं।
पोखरिया का आरोप है कि 14 फरवरी 2023 को हाईकोर्ट ने सरकार को नदियों से गाद, मलबा और बोल्डर हटाने और उन्हें सही दिशा देने का आदेश दिया था, लेकिन इसका पालन नहीं हुआ। इसी लापरवाही के चलते पिछले साल कई पुल बह गए और कई जिले बाढ़ की चपेट में आ गए।
अगली सुनवाई 15 सितंबर को
हाईकोर्ट ने अब सरकार से विस्तृत प्लान रिपोर्ट मांगी है। मामले की अगली सुनवाई 15 सितंबर को होगी, जिसमें पीसीसीएफ हॉफ, सचिव सिंचाई और फॉरेस्ट कॉरपोरेशन के एमडी को व्यक्तिगत रूप से पेश होना होगा।

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