हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय, श्रीनगर (उत्तराखंड) में आयोजित “हिमालयी क्षेत्र में एरोसोल, वायु गुणवत्ता एवं जलवायु परिवर्तन पर तृतीय बहुविषयक अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का समापन अत्यंत सार्थक और प्रेरणादायी रूप में हुआ।
तीन दिवसीय इस अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी के तीसरे दिन वैज्ञानिकों, शोधार्थियों और प्रतिभागियों का दल श्रीनगर से बद्रीनाथ के लिए रवाना हुआ।
इस यात्रा का उद्देश्य हिमालयी क्षेत्र में जलवायु परिवर्तन, पारंपरिक ज्ञान प्रणालियों तथा जैव विविधता के परस्पर संबंधों को प्रत्यक्ष रूप से समझना और अनुभव करना था।
संगोष्ठी के संयोजक डॉ. आलोक सागर गौतम ने बताया कि पहले दो दिनों तक श्रीनगर परिसर में विविध सत्रों में एरोसोल के प्रभाव, वायु गुणवत्ता की निगरानी, जलवायु परिवर्तन के सामाजिक-आर्थिक परिणाम तथा नीति निर्माण में पारंपरिक ज्ञान की भूमिका जैसे विषयों पर गहन विचार-विमर्श हुआ।

तीसरे दिन शोधार्थियों का दल बद्रीनाथ पहुँचकर ऊँचाई वाले पारिस्थितिक तंत्रों में हो रहे पर्यावरणीय परिवर्तनों का प्रत्यक्ष अध्ययन कर रहा है।
प्रतिभागियों ने वहां के स्थानीय समुदायों, वनस्पति विविधता और बदलते मौसमीय पैटर्न का अवलोकन करते हुए, भविष्य की शोध संभावनाओं पर चर्चा की।
वरिष्ट वैज्ञानिक डॉ. अतुल कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि ऐसी क्षेत्रीय यात्राएँ प्रतिभागियों को न केवल सैद्धांतिक ज्ञान से परे, बल्कि मैदानी यथार्थ और पारंपरिक पर्यावरणीय बुद्धि से परिचित कराती हैं, जो हिमालयी क्षेत्र के सतत विकास के लिए अत्यंत आवश्यक है।
संगोष्ठी के समापन अवसर पर प्रतिभागियों ने यह संकल्प लिया कि हिमालय के संवेदनशील पारिस्थितिकी तंत्र की रक्षा के लिए विज्ञान, समाज और नीति तीनों स्तरों पर समन्वित प्रयासों की दिशा में कार्य करेंगे।
इस अवसर पर वरिष्ट वैज्ञानिक दीवन सिंह बिष्ट, डॉ सुरेश तिवारी, डॉ सुरेन्द्र प्रताप सिंह, डॉ सरल कुमार समेत 120 सदस्यीय दल बद्रीनाथ पहुंचा।
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