IOC की नई अध्यक्ष किर्स्टी कोवेंट्री जल्द लागू करेंगी नई नीति, वैज्ञानिक रिपोर्ट में ‘फिजिकल एडवांटेज’ का हवाला
अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति (IOC) ट्रांसजेंडर महिला एथलीट्स को महिला वर्ग में खेलने की अनुमति पर बड़ा बदलाव करने जा रही है।
नई अध्यक्ष किर्स्टी कोवेंट्री ने संकेत दिए हैं कि अब केवल जन्म से महिला एथलीट्स (Biological Females) को ही महिला कैटेगरी में शामिल किया जाएगा।
इस निर्णय के पीछे तर्क है ट्रांस महिला खिलाड़ियों को शारीरिक रूप से स्थायी बढ़त प्राप्त रहती है, भले ही उनका टेस्टोस्टेरोन स्तर घटा दिया जाए।
वैज्ञानिक समीक्षा में मिले ठोस प्रमाण
लुसाने में हुई IOC की बैठक में मेडिकल और साइंटिफिक डायरेक्टर डॉ. जेन थॉर्नटन ने रिपोर्ट पेश की।
इसमें बताया गया कि ट्रांसजेंडर महिलाओं को टेस्टोस्टेरोन सप्रेशन थेरेपी के बावजूद मांसपेशियों की ताकत, बोन डेंसिटी और ऑक्सीजन क्षमता में बढ़त बनी रहती है।
रिपोर्ट “फैक्चुअल, साइंटिफिक और अनइमोशनल” बताई जा रही है, जिसे IOC के कई मेंबर्स ने समर्थन दिया है।
अगले साल लागू हो सकता है नया नियम
सूत्रों के अनुसार, IOC फरवरी 2026 में मिलान-कोर्टिना में होने वाली विंटर ओलंपिक मीटिंग में नए नियमों की घोषणा कर सकती है।
नई नीति 2028 लॉस एंजिल्स ओलंपिक से पहले लागू की जा सकती है। यह अब तक की सबसे सख्त Eligibility Policy होगी।
एथलेटिक्स और स्वीमिंग जैसे कई खेल संघ पहले ही ट्रांस एथलीट्स को महिला वर्ग से बाहर कर चुके हैं।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भी कह चुके हैं कि अमेरिकी धरती पर महिला कैटेगरी में ट्रांसजेंडर खिलाड़ियों को नहीं खेलने दिया जाएगा।
हालांकि, मानवाधिकार संगठनों का कहना है कि यह फैसला समावेशिता और समान अवसरों के खिलाफ है।
विवाद की शुरुआत तब हुई जब अल्जीरिया की बॉक्सर इमान खलीफ और ताइवान की लिन यू टिंग ने पेरिस 2024 ओलंपिक में गोल्ड जीते जबकि इन्हें पहले जेंडर एलिजिबिलिटी के कारण वर्ल्ड चैंपियनशिप से बाहर किया गया था।
इसके बाद से IOC पर दबाव बढ़ा कि “महिला वर्ग” को वैज्ञानिक मानकों पर परिभाषित किया जाए।












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