पिछले साल से 325 टन ज्यादा
कपाट बंद होने के बाद भी 10 दिन चला सफाई अभियान, हिमालयी पर्यावरण पर बढ़ता दबाव चिंता का विषय
विश्व प्रसिद्ध केदारनाथ धाम में इस वर्ष श्रद्धालुओं का भारी सैलाब उमड़ा। यात्रा सीजन के छह महीनों में 17.68 लाख तीर्थयात्रियों ने बाबा केदार के दर्शन किए। लेकिन यात्रियों की यह भारी संख्या धाम और यात्रा मार्ग पर कूड़े का पहाड़ छोड़ गई।
कपाट 23 अक्टूबर को बंद होने के बाद भी लगभग दस दिनों तक सफाई अभियान जारी रहा, ताकि यात्रा मार्ग और धाम को पूरी तरह स्वच्छ किया जा सके।
यात्रा मार्ग से एकत्रित हुआ 2324 टन कूड़ा
केदारनाथ धाम, पैदल मार्ग और सोनप्रयाग से लेकर गौरीकुंड, सीतापुर, फाटा और रामपुर तक फैले यात्रा मार्ग से इस बार 2324 टन कूड़ा उठाया गया।
इसमें प्लास्टिक, रेनकोट, पानी की बोतलें, खाने के पैकेट और घोड़े-खच्चरों की लीद शामिल है।
पिछले यात्रा वर्ष की तुलना में 325 टन अधिक कूड़ा एकत्रित हुआ है—जो पर्यावरणीय दृष्टि से गंभीर संकेत है।
सफाई कार्य की जिम्मेदारी हर साल की तरह इस बार भी सुलभ इंटरनेशनल के पास रही, जिसके 450 से अधिक पर्यावरण मित्र लगातार धाम और मार्ग पर तैनात रहते हैं।

कूड़ा निस्तारण की जटिल प्रक्रिया
केदारनाथ जैसे दुर्गम हिमालयी क्षेत्र में कूड़ा निस्तारण एक चुनौतीपूर्ण कार्य है।
धाम से घोड़े-खच्चरों और पर्यावरण मित्रों के जरिये कूड़ा पहले गौरीकुंड तक लाया जाता है। यहां प्लास्टिक और घोड़े-खच्चरों की लीद को मशीनों से अलग-अलग निस्तारित किया जाता है।
जैविक कूड़े को रुद्रप्रयाग जिले के रैंतोली प्लांट तक पहुँचाया जाता है, जो सोनप्रयाग से करीब 70 किलोमीटर दूर है—यही प्रक्रिया हर साल लाखों रुपये खर्च करवा देती है।
हिमालयी पर्यावरण पर बढ़ता बोझ, विशेषज्ञ चिंतित
श्रद्धालुओं की रिकॉर्ड संख्या जहां धार्मिक दृष्टि से उत्साहजनक है, वहीं बढ़ता कूड़ा हिमालय के संवेदनशील पर्यावरण पर गंभीर खतरा उत्पन्न कर रहा है।
यात्रा मार्ग के बुग्यालों और पहाड़ी ढलानों पर फैला प्लास्टिक और अन्य कचरा पारिस्थितिकी तंत्र के लिए चुनौती बन रहा है।
सुलभ इंटरनेशनल के प्रभारी धनंजय पाठक का कहना है कि हर साल यात्रियों की संख्या बढ़ने के साथ कूड़ा प्रबंधन भी कठिन होता जा रहा है, लेकिन टीम लगातार सफाई अभियान में जुटी रहती है ताकि धाम और मार्ग स्वच्छ बने रहें।








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