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शर्मनाक: श्रीनगर किताब कौथिग पर घटिया राजनीति

नगर निगम चुनाव में भाजपा की हार बनी किरकिरी

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नवीन जोशी / पूर्व संपादक हिन्दुस्तान

आरएसएस (संघ) और उससे सम्बद्ध अ भा वि प ने श्रीनगर (गढ़वाल) में 15-16 फरवरी 2025 को होने वाले किताब कौथिग (पुस्तक मेला) के आयोजन की अनुमतियां प्रशासन से अस्वीकृत करवा दीं।

एक जगह की अनुमति रद्द होने पर दूसरी और फिर तीसरी जगह किताब कौथिग के लिए बकायदा लिखित अनुमति ली गई लेकिन इन संगठनों ने तीनों जगहों पर दबाव डलवाकर अनुमति रद्द करवा दी।

आज मंगलवार 11फरवरी आयोजकों ने संवाददाता सम्मेलन में इसे मजबूरन रद्द करने का ऐलान किया। संघ के स्थानीय लोगों और विद्यार्थी परिषद के युवाओं की आपत्ति यह है कि किताब कौथिक में गांधी-नेहरू, आम्बेडकर की किताबों के साथ-साथ प्रगतिशील साहित्य भी उपलब्ध रहता है और ‘वामपंथी’ भी भागीदारी करते हैं।

इस बार तो उन्हें जनकवि/गायक नरेंद्र सिंह नेगी के आने पर भी आपत्ति हुई, जैसा कि संघ के स्थानीय लोगों ने आयोजकों को व्यक्तिगत रूप से बताया कि ‘ऊपर से आदेश है।’

न ही नेगी जी वामपंथी हैं और न ही किताब कौथिक के आयोजक हेम पंत, रिस्की पाठक आदि, बल्कि, आरएसएस व विद्यार्थी परिषद के सक्रिय लोग किताब कौथिकों में शामिल होते और इसकी प्रशंसा करते रहे हैं, जबकि कुछ वामपंथी इस पर आपत्ति। इस बार शायद श्रीनगर नगर निगम के चुनाव में भाजपा की हार उनकी आंख की किरकिरी बन गई।


उत्तराखंड के चंद युवाओं की पहल पर चम्पावत से शुरू हुआ किताब कौथिक अब तक 12 नगरों-कस्बों में हो चुका है। किताबों का यह कौथिक उत्तराखंड में जनता के बीच लोकप्रिय हुआ है। इस मेले में करीब 60 प्रकाशकों की विविध विषयों की, जिनमें गांधी-नेहरू-आम्बेडकर की किताबों से लेकर जनवादी-प्रगतिशील और दक्षिणपंथी साहित्य भी शामिल है, हजारों पुस्तकें उपलब्ध रहती हैं। इस कौथिक ने पहाड़ में पढ़ने-पढ़ाने की संस्कृति विकसित करने में बड़ा योगदान दिया है।


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