21 नवंबर को ओकारेश्वर मंदिर में विराजमान
पंच केदारों में द्वितीय केदार भगवान मदमहेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली बुधवार को राकेश्वरी मंदिर रासी पहुँची। ग्रामीणों ने पुष्पवर्षा, पूजा-अर्चना और वस्त्र अर्पित कर डोली का भव्य स्वागत किया।
ब्रह्म बेला में प्रधान पुजारी शिव लिंग ने गौण्डार में पंचांग पूजन कर देवताओं का आवाहन किया। निर्धारित समय पर डोली गौण्डार से रासी के लिए रवाना हुई।
अंतिम पड़ाव गिरीया गाँव
डोली गुरुवार को रासी से आगे बढ़कर उनियाणा, राऊंलैक, बुरूवा और मनसूना से आशीर्वाद देती हुई अंतिम रात्रि प्रवास के लिए गिरीया गाँव पहुँचेगी।
21 नवंबर को डोली शीतकालीन गद्दी स्थल ओकारेश्वर मंदिर पहुँचेगी। 22 नवंबर से भगवान मदमहेश्वर की शीतकालीन पूजा विधिवत आरंभ होगी।

अधिकारी यदुवीर पुष्वाण ने बताया कि कपाट बंद होने पर नानौ में विशाल भंडारा आयोजित किया गया। मंदिर समिति ओकारेश्वर मंदिर को आठ कुंतल फूलों से सजा रही है।
ऊखीमठ के जीआईसी मैदान में होने वाला त्रिदिवसीय मदमहेश्वर मेला तैयार है। मेला अध्यक्ष कुब्जा धर्म्वाण ने बताया कि कार्यक्रम की शुरुआत विद्यालयों के सांस्कृतिक प्रस्तुतियों से होगी।
इस मौके पर दिवारा यात्रा प्रभारी दीपक पंवार, डोली प्रभारी विपिन पटवाल, प्रधान सोनिया पंवार, पूर्व प्रधान बीर सिंह पंवार, जगत सिंह पंवार, मदन सिंह पंवार, शिव सिंह रावत, रवि भट्ट, शिवानन्द पंवार सहित गौण्डार, रासी व उनियाणा के हक – हकूकधारी, जनप्रतिनिधि, मन्दिर समिति के अधिकारी, कर्मचारी व सैकड़ों ग्रामीण मौजूद थे।










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