नेपाल में विरोध प्रदर्शनों ने हिंसक रूप ले लिया है। राजधानी काठमांडू में प्रदर्शनकारियों ने संसद भवन पर धावा बोल दिया और दोनों सदनों में आग लगा दी।
संसद अब पूरी तरह प्रदर्शनकारियों के कब्ज़े में है। हालात बिगड़ने के बीच प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने इस्तीफ़ा दे दिया, जिसे राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल ने मंज़ूर कर लिया है।
सोमवार को शुरू हुए प्रदर्शनों में भीड़ ने संसद भवन में घुसकर जमकर तोड़फोड़ और आगजनी की। इसी बीच गृह मंत्री रमेश लेखक, कृषि मंत्री रामनाथ अधिकारी और स्वास्थ्य मंत्री प्रदीप पौडेल समेत पाँच मंत्रियों ने भी इस्तीफ़ा दे दिया।
सूत्रों के मुताबिक, प्रधानमंत्री ओली ने सेना प्रमुख जनरल अशोक राज सिग्देल से मदद मांगी थी। सेना ने साफ कहा कि स्थिति तभी संभाली जा सकती है, जब प्रधानमंत्री पद छोड़ दें। इसके बाद ओली ने इस्तीफ़ा सौंप दिया और उनके दुबई जाने की खबरें सामने आ रही हैं।

राष्ट्रपति और नेताओं के घरों पर हमला
हिंसक भीड़ ने राष्ट्रपति पौडेल के निजी आवास में तोड़फोड़ की और आग लगा दी। लालितपुर में माओवादी नेता व पूर्व प्रधानमंत्री प्रचंड के घर पर भी हमला हुआ। कई मंत्रियों और नेताओं को हेलिकॉप्टर से सुरक्षित बाहर निकाला गया।
अब तक की हिंसा में कम से कम 20 लोगों की मौत हो चुकी है और करीब 500 लोग घायल बताए जा रहे हैं। राजधानी समेत कई शहरों में कर्फ्यू लागू कर दिया गया है, बावजूद इसके प्रदर्शनकारी सड़कों पर डटे हुए हैं।
जानें क्यों भड़के हालात
4 सितंबर को ओली सरकार ने फेसबुक, वॉट्सऐप, एक्स समेत 26 सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म्स पर प्रतिबंध लगाया था। इस फैसले से नाराज़ युवाओं ने सड़कों पर उतरकर विरोध शुरू किया, जिसे “Gen Z क्रांति” कहा जा रहा है।
हालांकि सरकार ने बाद में प्रतिबंध हटाया, लेकिन ग़ुस्से में भीड़ अब भ्रष्टाचार, महंगाई और भाई-भतीजावाद (नेपोटिज़्म) के खिलाफ खुलकर प्रदर्शन कर रही है।
इस्तीफ़े से पहले पीएम ओली ने राष्ट्र के नाम संदेश जारी कर शांति की अपील की। उन्होंने कहा “हिंसा किसी भी समस्या का समाधान नहीं है। हम बातचीत और शांतिपूर्ण तरीक़े से आगे बढ़ना चाहते हैं। सभी दलों से शाम 6 बजे बैठक बुलाकर समाधान खोजने की कोशिश कर रहे हैं।”


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