2016 में मेडिकल विभाग की एक्स-रे तकनीशियन भर्ती घोटाले का एक नया और चौंकाने वाला तथ्य सामने आया है।
जांच में खुलासा हुआ है कि ‘अर्पित सिंह’ के नाम से छह अलग-अलग जिलों—रामपुर, बदायूं, बांदा, बलरामपुर, शामली और फर्रूखाबाद—में छः अलग-अलग लोग नौकरी कर रहे थे।
कैसे हुआ खुलासा
दरअसल, मई 2016 में एक्स-रे टेक्नीशियन भर्ती के दौरान अर्पित सिंह नाम के उम्मीदवार की नियुक्ति हुई थी। उनकी तैनाती हाथरस जिले में की गई थी। लेकिन जांच में सामने आया कि यही नाम अलग-अलग जिलों में दर्ज है और वहां भी लोग नौकरी कर रहे हैं।
मानव संपदा पोर्टल से पता चला कि अर्पित सिंह के नाम पर रामपुर, बदायूं, बांदा, बलरामपुर, शामली और फर्रूखाबाद जिलों में भी नियुक्तियां दिख रही हैं।

9 साल तक चलता रहा घोटाला
रामपुर में तैनाती पाने वाले अर्पित सिंह का हर माह का वेतन करीब 60 हजार रुपये था। पिछले नौ साल में उसने लगभग 55 लाख रुपये सैलरी ली।
वहीं बाकी जिलों में भी वेतन का भुगतान जारी रहा। अनुमान है कि इस फर्जीवाड़े से विभाग को करीब 4.5 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।
मामला सामने आने के बाद मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने तीन डिप्टी सीएमओ की जांच टीम बनाई है। साथ ही सीएम योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर लखनऊ पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर ली है।
अब पूरे मामले की उच्चस्तरीय जांच की जा रही है और 2016 की भर्ती प्रक्रिया में शामिल उम्मीदवारों के रिकॉर्ड का दोबारा वेरीफिकेशन शुरू हो चुका है।
राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप
मामले के तूल पकड़ने के बाद राजनीति भी गरमा गई है। विपक्ष ने इसे सरकारी भर्ती में भ्रष्टाचार का उदाहरण बताते हुए योगी सरकार को घेरा है।
वहीं सरकार का कहना है कि गड़बड़ी 2016 की भर्ती में हुई थी और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई होगी।

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