अप्रैल 2025 में कश्मीरी पर्यटन स्थल पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के तीन मुख्य आरोपी—सुलेमान उर्फ फैजल जट्ट, हमजा अफगानी और जिब्रान—की पहचान लश्कर‑ए‑तैयबा (LeT) से जुड़े पाकिस्तानी आतंकवादियों के रूप में की गई है।
वरिष्ठ सरकारी सूत्रों ने बताया है कि ये तीनों करीब तीन साल पहले पाकिस्तान से भारत में घुसे थे और पिछले साल दो समूहों में बंट गए थे।
अल्ट्रा‑हाई फ्रीक्वेंसी वायरलेस सेट से कर रहे थे बातचीत
सरकारी अधिकारी के अनुसार, ये आतंकवादी समकालीन “अल्ट्रा‑हाई फ्रीक्वेंसी वायरलेस सेट” का इस्तेमाल कर पाकिस्तान तथा घाटी में अपने साथियों से संवाद करते थे। ये आधुनिक सेट्स 20‑25 किलोमीटर की सीमा तक काम करते थे और इंटरसेप्ट करना बेहद कठिन था।
2023 में तीनों आतंकवादी भारत में infiltrate हुए। लगभग एक वर्ष बाद, 2024 में इन्हें दो समूहों में बाँटा गया—एक समूह सुलेमान की अगुवाई में रहा, जबकि दूसरा पाकिस्तानी Hashim Moosa के नेतृत्व में था। इस दौरान नए LeT कैडर भी सुलेमान समूह में शामिल हुए, जो घाटी में सक्रिय रहे।
सिग्नल ट्रैकिंग से मिली लोकेशन
पहले संवाद संकेत (signal) 22 मई 2025 को पकड़े गए। सुरक्षाबलों ने दिशा‑प्रकाशक (direction finder) तकनीकी उपकरण से इन सिग्नलों का पता लगाकर दाचीगाम के ऊपरी जंगलों में आतंकवादियों की मौजूदगी का अंदाज़ा लगाया। जोखिमपूर्ण ऑपरेशन में हर सिग्नल से संबंधित क्षेत्र की तलाशी ली जाती रही।
28 जुलाई 2025 को किये गए संयुक्त ‘ऑपरेशन महादेव’ में जम्मू‑कश्मीर पुलिस, राष्ट्रीय राइफल्स और पैरामिलिट्री बलों ने सुलेमान, हमजा और जिब्रान को मार गिराया, जो उस समय श्रीनगर से लगभग 20‑30 किमी दूर दाचीगाम जंगलों के पास छिपे थे।
गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में बताया कि आतंकियों की पहचान गिरफ्तार स्थानीय आकाओं एवं विश्लेषण के आधार पर की गई। दो आतंकियों के पास पाकिस्तानी वोटर आईडी और पाकिस्तानी चॉकलेट मिली थी। हथियार पर बलिस्टिक मिलान से यह भी पुष्टि हुई कि वही असल हथियार हमले में प्रयुक्त हुए थे।

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