हिंदी भाषियों को लेकर भड़काऊ बयान देने पर कानूनी कार्रवाई की मांग
राजनीतिक बयानों और क्षेत्रीय पहचान को लेकर देश में एक बार फिर से विवाद गरमा गया है। महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) प्रमुख राज ठाकरे के भाषणों और उनके समर्थकों की गतिविधियों को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका (PIL) दायर की गई है।
याचिकाकर्ता का आरोप है कि राज ठाकरे ने अपने भाषणों से हिंदी भाषी नागरिकों के खिलाफ नफरत और हिंसा को उकसाया है।
क्या है मामला
वकील घनश्याम उपाध्याय ने सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर की है, जिसमें आरोप है कि महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) प्रमुख राज ठाकरे ने हिंदी भाषियों के खिलाफ भड़काऊ बयान दिए हैं और उनके समर्थकों ने हिंसा को अंजाम दिया है।
याचिका में बताया गया कि ठाकरे ने अपने भाषणों में हिंदी भाषियों के खिलाफ नफरत फैलाई और कहा कि अगर स्कूलों में पहली से पांचवीं तक हिंदी पढ़ाई गई, तो वे स्कूल बंद करवा देंगे।
ठाकरे के समर्थकों पर हिंदी भाषियों की दुकानों और प्रतिष्ठानों को नुकसान पहुंचाने के भी आरोप लगे हैं। कहा गया कि कई स्थानों पर केवल इसलिए हिंसा हुई क्योंकि वहाँ मराठी भाषा का उपयोग नहीं हो रहा था।
याचिका में ठाकरे और उनके समर्थकों पर FIR दर्ज करने की मांग की गई है। साथ ही, कोर्ट से यह आग्रह किया गया कि भविष्य में इस तरह की भाषाई नफरत फैलाने वाले बयानों पर सख्त रोक लगाई जाए।
राज ठाकरे पहले भी उत्तर भारतीयों के खिलाफ अपने बयानों और पार्टी की हिंसक गतिविधियों के चलते विवादों में रह चुके हैं। यह मामला एक बार फिर भाषाई राजनीति के खतरनाक पहलुओं को उजागर करता है।

Leave a Reply