उत्तराखंड की कमजोर स्वास्थ्य व्यवस्था एक बार फिर सवालों के घेरे में है। भिलंगना ब्लॉक की 24 वर्षीय नीतू पंवार, जो आठ माह की गर्भवती थीं, हायर सेंटर रेफर किए जाने के बाद रास्ते में ही दम तोड़ गईं।
परिजनों का आरोप है कि सीएचसी बेलेश्वर में समय पर उपचार मिलता तो नीतू की जान बच सकती थी। घटना के बाद पूरे क्षेत्र में शोक और आक्रोश फैल गया है।
कैसे हुई घटना
श्रीकोट, चमियाला निवासी नीतू पंवार की तबीयत अचानक बिगड़ गई। परिजन उन्हें सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बेलेश्वर लेकर पहुंचे।
डॉक्टरों ने जांच के बाद पाया कि शरीर में गंभीर सूजन (एडिमा), ब्लड प्रेशर अत्यधिक बढ़ा हुआ तथा नियमित जांच का अभाव होने के कारणों से नीतू को हायर सेंटर रेफर कर दिया गया।
परिवार के मुताबिक डॉक्टरों ने इंजेक्शन देने के बाद भी यह सलाह दी कि रास्ते में पड़ने वाले किसी भी अस्पताल में दिखाते चलें।
परिजन निजी वाहन से नीतू को लेकर हायर सेंटर की ओर निकले, लेकिन फकोट के पास उनकी हालत बिगड़ने लगी। कुछ ही मिनटों में नीतू ने वाहन में ही दम तोड़ दिया।
जब उन्हें नजदीकी अस्पताल ले जाया गया, डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया।
प्रसव के लिए लौटी थी गांव
नीतू का पति दीपक पंवार बहरीन में नौकरी करता है। परिजनों ने बताया कि नीतू जून तक बहरीन में ही थी और प्रसव के लिए कुछ दिन पहले ही गांव आई थी।
परिवार पर अचानक यह दुख टूट पड़ा है और गांव में मातम पसरा हुआ है।
तीन महीनों में तीन गर्भवती महिलाओं की मौत
ग्रामीणों का कहना है कि रेफर-रेफर के इस खेल ने कई घर उजाड़ दिए हैं।
पिछले तीन महीनों में तीन महिलाएं रेफर के दौरान जान गंवा चुकी हैं—
- सितंबर: अनीशा रावत
- अक्टूबर: रवीना कठैत
- 18 नवंबर: नीतू पंवार
लगातार होती मौतों ने स्वास्थ्य विभाग पर गहरी नाराज़गी पैदा कर दी है।
नीतू का शव फिलहाल मोर्चरी में रखा गया है। पति दीपक पंवार के बुधवार तक गांव पहुँचने की उम्मीद है, जिसके बाद अंतिम संस्कार होगा।

















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