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सुप्रीम कोर्ट ने न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा की याचिका पर उठाए सवाल

30 जुलाई को फिर होगी सुनवाई, महाभियोग प्रक्रिया पर बहस तेज

दिल्ली उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश और वर्तमान में इलाहाबाद उच्च न्यायालय में पदस्थ न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा की महाभियोग कार्यवाही को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कड़ी टिप्पणी की।

अदालत ने जाँच प्रक्रिया, रिपोर्ट और वर्मा के रुख पर सवाल उठाते हुए स्पष्ट किया कि याचिका में कई प्रक्रियागत कमियां हैं।

सुप्रीम कोर्ट की पीठ, जिसमें न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति ए जी मसीह शामिल थे, ने सुनवाई के दौरान पूछा कि वर्मा जाँच समिति के समक्ष क्यों पेश हुए और उन्होंने समिति की रिपोर्ट आने तक इंतजार क्यों किया?

अदालत ने यह भी जानना चाहा कि क्या वह पहले अनुकूल आदेश पाने का प्रयास कर रहे थे और क्या उन्होंने वीडियो हटाने के लिए अदालत का रुख किया था।

न्यायमूर्ति वर्मा की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने दलील दी कि संविधान का अनुच्छेद 124 महाभियोग की स्पष्ट प्रक्रिया तय करता है। उन्होंने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय की वेबसाइट पर वीडियो जारी करना और मीडिया में न्यायाधीशों पर आरोप लगाना न्यायपालिका की गरिमा के विपरीत है। अदालत से सभी पक्षों की सूची सही करने और एक पृष्ठ में बिंदुवार विवरण दाखिल करने का अनुरोध किया गया।

जाँच समिति की रिपोर्ट

मार्च 2025 में न्यायमूर्ति वर्मा के दिल्ली स्थित आधिकारिक आवास पर देर रात आग लगी। आग बुझाने के बाद स्टोररूम से बड़ी मात्रा में अधजली नकदी बरामद हुई। इस मामले की जाँच पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश शील नागू की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय समिति ने की।

समिति ने 55 गवाहों से पूछताछ और स्थल का निरीक्षण कर यह निष्कर्ष निकाला कि न्यायमूर्ति वर्मा और उनके परिवार का उस कमरे पर गुप्त या सक्रिय नियंत्रण था, जहाँ नकदी बरामद हुई। रिपोर्ट में इसे गंभीर कदाचार मानते हुए उनके पद से हटाने की सिफारिश की गई।

महाभियोग की सिफारिश और संसद की प्रक्रिया

रिपोर्ट के बाद तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश संजय खन्ना ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर संसद से न्यायमूर्ति वर्मा के खिलाफ महाभियोग चलाने की सिफारिश की।

वर्मा ने अपनी याचिका में समिति की रिपोर्ट को चुनौती दी है और आरोप लगाया है कि जाँच में निष्पक्षता नहीं बरती गई और प्रक्रिया जल्दबाजी में पूरी की गई।

https://regionalreporter.in/supreme-court-gives-big-relief-to-lakshya-sen/
https://youtu.be/kYpAMPzRlbo?si=L_3dWYgD-BN0kNQm
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