प्रकाश उप्रेती

1- इसे सिंगौरी या सिंगोडी कहते हैं। मेरे लिए ये अल्मोड़ा से आई है। मालू के पत्ते में लिपटी इस मिठाई का स्वाद अद्भुत होता है। मैंने पहाड़ के कई हिस्सों में इस मिठाई का स्वाद लिया है परंतु चंबा और अल्मोड़ा का स्वाद मुझे सबसे बेस्ट लगा।

2- ये चॉकलेट है। बाल मिठाई से बाल निकाल लो तो फिर चॉकलेट ही बच जाती है। पहले बाल मिठाई ही मिलती थी। यूपीए 2nd के बाद बाजार में चॉकलेट का प्रचलन बड़ा। खाने वालों की तादाद 2014 के बाद बड़ी है।
अल्मोड़ा बाल और चॉकलेट दोनों के लिए प्रसिद्ध है। अल्मोड़ा की कुछ ही दुकानों पर चॉकलेट अच्छी मिलती है बाकी तो ऐसी ही ठहरे।

3- ये हुई बाल मिठाई। अल्मोड़ा की बाल मिठाई विख्यात है। अल्मोड़ा में भी मोहन सिंह रौतेला जी की बाल मिठाई का आज भी कोई तोड़ नहीं है। 102 वर्षों पुरानी यह दुकान अपने स्वाद को आज भी ज्यों का त्यों बरकरार रखे हुए। मोहन सिंह जी के पिता खीम सिंह जी ने इस दुकान की नींव रखी थी।
आज मोहन सिंह जी खुद 80 वर्ष के हो गए हैं। अब उनके बेटे दुकान चलाते हैं। बाल मिठाई और चॉकलेट इन्हीं के यहाँ से आई है।

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