उत्तराखंड के विभिन्न हिस्सों में मेले मनाने की होड़ मची हुई है। अलग-अलग क्षेत्रों में कहीं कृषि मेले, तो कहीं, तो कहीं पारंपरिक मेलों की धूम मची हुई है। कह सकते हैं कि उत्तराखंड मेले मनाने में मगन है।
राज्य स्थापना के 25 साल पूर्ण होने पर राज्य सरकार ने उत्सवों की श्रृंखला ही खड़ी कर दी। इन उत्सवों के बीच उत्तराखंड के मूल सवाल राज्य सरकार के आयोजनों की धुरी से ही गायब हैं।
इसके बावजूद उत्तराखंड के विभिन्न हिस्सों में स्वास्थ्य से जुड़े आंदोलनों ने तेजी पाई है। चौखुटिया की बदहाल स्वास्थ्य सेवाओं से उपजा आंदोलन उप जिला चिकित्सालय के लिए आरंभ हुआ और अब यह आंदोलन उत्तराखंड के गांधी इंद्रमणि बडोनी के गांव अखोड़ी तक पहुंच गया है।
वहां भी ग्रामीणों ने उप जिला चिकित्सालय की मांग को लेकर विशाल मशाल जुलूस निकालकर अपनी बुलंद मांग रखी है।
चौखुटिया के आपरेशन स्वास्थ्य के तहत आंदोलनकारियों ने बीते 24 अक्टूबर से चौखुटिया से देहरादून तक पैदल मार्च किया।
16 सदस्यीय पैदल यात्रियों के दल ने शांतिपूर्ण ढंग से देहरादून तक पहुंचकर राज्य सरकार तक अपनी मांग पहुंचाने की चेष्टा की, लेकिन राज्य सरकार ने डोईवाला में एक दिन पहले ही उन्हें रोकने की कोशिश की।
नौ नवंबर को राज्य स्थापना के 25 वर्ष पूर्ण होने के अवसर पर जो सरकार राज्य आंदोलनकारियों को तमगे बांटने के कार्यक्रम तय कर रही है, वही सरकार राज्य बनने के 25 साल बाद भी बुनियादी सुविधाओं से महरूम जनता की आवाज सुनने को तैयार नहीं।
दुःखद यह है कि राज्य निर्माण के 25 वर्ष पूर्ण होने से ठीक सात दिन पहले इस राज्य की अव्यवस्थाओं पर आवाज उठा रहे आंदोलनकारियों को सड़कों पर घसीटा गया।
इन आंदोलनकारियों में इस राज्य की मातृशक्ति भी मौजूद रही। 25 साल उत्तराखंड की यात्रा में इस राज्य के वासिंदे पहले उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा घसीटे और खदेड़े जा रहे थे और अब उत्तराखंड की सरकार द्वारा सड़कों पर घसीटे जा रहे हैं।
इन हालातों में भी उत्तराखंड आखिरकार युवा हो ही गया है। युवा उत्तराखंड के वासिंदों को राज्य स्थापना की रजत जयंती मुबारक हो।
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