मोबाइल लोकेशन ट्रेसिंग से खुली रैकेट की परतें
उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (UKSSSC) की ग्रुप-C भर्ती परीक्षा के पेपर लीक मामले में पुलिस को बड़ी सफलता मिली है।
आरोप है कि पेपर परीक्षा केंद्र से ही बाहर भेजे गए थे। पुलिस ने आरोपित खालिद मलिक को हरिद्वार से गिरफ्तार किया है, जिससे पूरे रैकेट की परतें खुलने की उम्मीद बढ़ गई है।
सूत्रों के अनुसार, खालिद के मोबाइल फोन से लोकेशन और अन्य डिजिटल सबूत पुलिस को मिले हैं। इन मोबाइल डेटा की गहरी पड़ताल से इस बात की आशंका है कि इसमें और भी बड़े नाम शामिल हो सकते हैं।
पेपर लीक खुलासा
पुलिस ने बताया कि खालिद ने परीक्षा केंद्र के पिछली दीवार से चढ़कर प्रवेश किया और अपने मोजों में छुपाए मोबाइल फोन से परीक्षा प्रश्नपत्र की तीन पन्नों की तस्वीर ली।
उसने तस्वीरें अपनी बहन सबिया को भेजीं, जिसने उन्हें आगे एक कॉलेज प्रो.सुमन चौहान को भेजा। प्रो. सुमन ने दिए गए प्रश्न-पत्र को हल कर खालिद को भेजा।
इस खुलासे के बाद बहन सबिया समेत अन्य व्यक्तियों को पहले ही गिरफ्तार किया जा चुका है।
सुरक्षा में चूकों की पुष्टि
पुलिस ने यह भी खुलासा किया है कि जिस कमरे में खालिद परीक्षा दे रहा था, वहां मोबाइल जैमर नहीं लगे थे। इंटर कॉलेज के प्रिंसिपल ने स्वीकार किया कि आयोग ने कुल 15 जैमर भेजे थे, लेकिन कुल 18 परीक्षा कक्षों में से तीन कक्षों को जैमर से वंचित रखा गया।
इसके अतिरिक्त, आयोग ने कमरे के अंदर CCTV बंद करने का निर्देश दिया था, जिससे निगरानी सीमित होकर मुख्य द्वार और नियंत्रण कक्ष तक सिमट गई थी।
छात्र और अभ्यर्थी इस घोटाले को लेकर बेशक भड़क गए हैं। देहरादून के परेड ग्राउंड पर बेरोजगार संगठन लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं और CBI जांच, परीक्षा रद्द करने तथा दोषियों को तुरंत सजा देने की मांग कर रहे हैं।
कुछ नेताओं और सामाजिक संगठनों ने आरोप लगाया है कि पेपर लीक व्यवस्था “घनी नेटवर्क” या उच्च स्तर की साजिश का हिस्सा हो सकती है।

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