चिकित्सीय विकास में कृत्रिम बुद्धिमत्ता की भूमिका पर विशेषज्ञों ने साझा किए अनुभव
गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय के जैव प्रौद्योगिकी विभाग और जंतु विज्ञान विभाग के संयुक्त तत्वावधान में बुधवार, 12 नवम्बर को को “द एआई इम्पेरेटिव: एक्सेलरेटिंग थेरेप्यूटिक डेवलपमेंट” विषय पर एकदिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम का आयोजन जंतु विज्ञान विभाग के सेमिनार हॉल में हुआ, जिसमें बड़ी संख्या में छात्रों, शोधार्थियों और शिक्षकों ने भाग लिया।
एआई आधारित अनुसंधान से चिकित्सीय नवाचार को नई दिशा
कार्यशाला का उद्देश्य कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) की मदद से चिकित्सीय खोज (Therapeutic Discovery) और जैव-चिकित्सीय नवाचार (Biomedical Innovation) की संभावनाओं को समझना था।
विशेषज्ञों ने बताया कि एआई अब दवा निर्माण, रोग मॉडलिंग और नैदानिक अनुसंधान को अधिक प्रभावी और सुरक्षित उपचारों की दिशा में बदल रहा है।
कार्यशाला के संयोजक प्रो. जी.के. जोशी, अध्यक्ष, जैव प्रौद्योगिकी विभाग रहे। कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलन के साथ हुआ, जिसमें विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों के प्रोफेसर और शोधार्थी उपस्थित रहे।

एआई कैसे बदल रहा है थेरेप्यूटिक डेवलपमेंट: प्रो. रीना घिल्डियाल
कार्यशाला की मुख्य वक्ता प्रोफेसर रीना घिल्डियाल, प्रोफेसर एमेरिटा, यूनिवर्सिटी ऑफ कैनबरा (ऑस्ट्रेलिया) रहीं। उन्होंने “द एआई इम्पेरेटिव: एक्सेलरेटिंग थेरेप्यूटिक डेवलपमेंट” विषय पर एक विचारोत्तेजक व्याख्यान दिया।
उन्होंने बताया कि एआई तकनीक दवा के लक्ष्य निर्धारण (Target Identification), प्रमाणीकरण (Validation) और प्री-क्लिनिकल ट्रायल्स के डिज़ाइन में क्रांतिकारी परिवर्तन ला रही है।
प्रो. घिल्डियाल ने प्रतिभागियों के लिए हैंड्स-ऑन सत्र भी संचालित किया, जिसमें उन्होंने एआई आधारित संगणनात्मक बुद्धिमत्ता (Computational Intelligence) के व्यावहारिक प्रयोग दिखाए।
70 से अधिक प्रतिभागियों ने लिया हिस्सा
कार्यशाला में जीवविज्ञान और औषध विज्ञान से जुड़े लगभग 70 प्रतिभागियों ने भाग लिया। कार्यक्रम का संचालन शिप्रा खंडूड़ी (शोधार्थी, जंतु विज्ञान विभाग) ने किया।
डॉ. गौरव भट्ट और डॉ. बबीता राणा ने संगठन सचिव के रूप में कार्यक्रम की रूपरेखा और प्रमाणपत्र वितरण का सफल संचालन किया।
कार्यक्रम का समापन डॉ. बबीता राणा के धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ।
इस अवसर पर प्रो. मुरुग्राज, डॉ. दीपक भंडारी, डॉ. पूजा सकलानी, डॉ. राम साहू, डॉ. डिगर और डॉ. गुंजन सहित कई शिक्षाविद उपस्थित रहे।












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