सुप्रीम कोर्ट ने LMV (Light Motor Vehicle) लाइसेंस पर एक अहम फैसला दिया है। 5 जजों वाली बेंच के फैसले के मुताबिक, LMV लाइसेंसधारियों को ट्रांसपोर्ट व्हीकल के लिए अलग से लाइसेंस लेने की जरूरत नहीं है, बशर्ते ट्रांसपोर्ट व्हीकल का वजन 7,500 किलोग्राम से कम हो।
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सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार, 6 नवंबर 2024 को LMV (Light Motor Vehicle) लाइसेंस को लेकर बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने साफ किया कि ट्रांसपोर्ट व्हीकल चलाने के लिए अतिरिक्त योग्यताएं सिर्फ उन व्हीकल्स के लिए लागू होंगी, जिनका वजन 7,500 किलोग्राम से ज्यादा है। अदालत ने कहा कि बीमा कंपनियां LMV लाइसेंस के आधार पर इंश्योरेंस क्लेम से मना नहीं कर सकतीं।
चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली 5 जजों की बेंच ने एकमत से यह फैसला दिया। कोर्ट ने कहा कि लाइसेंसिंग ऑथोरिटी ड्राइविंग लाइसेंस देते समय नियमों का पालन करें। बेंच की तरफ से फैसला पढ़ते हुए जस्टिस ऋषिकेश राय ने कहा कि यहां सिर्फ कानून का सवाल नहीं है। कानून के सामाजिक असर को भी समझना जरूरी है, ताकि लोगों के सामने मुश्किल न खड़ी हो।
सुनवाई के दौरान केंद्र का प्रतिनिधित्व कर रहे अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने अदालत के समक्ष दलील दी थी कि मोटर वाहन (एलएमवी) अधिनियम, 1988 में संशोधन के लिए परामर्श लगभग पूरा हो चुका है। उन्होंने कहा कि प्रस्तावित संशोधनों को अभी संसद में पेश किया जाना है। यह संसद के शीतकालीन सत्र में ही किया जा सकता है।
कोर्ट ने खारिज की इंश्योरेंस कंपनियों की दलील
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि लाखों लोग ऐसे परिवहन वाहन चला कर रोजगार कमा रहे हैं, जिनका बिना भार डाले वजन 7500 किलोग्राम से कम होता है। LMV लाइसेंस रखने वाले ऐसे ड्राइवर अपना अधिकतम समय गाड़ी चलाते हुए बिताते हैं। इंश्योरेंस कंपनियां यह दिखाने में नाकाम रही हैं कि LMV लाइसेंस धारक ड्राइवरों के हेवी कमर्शियल वाहन चलाने के चलते दुर्घटनाएं हो रही हैं।
कोर्ट ने कहा कि सड़क सुरक्षा पूरी दुनिया के लिए एक गंभीर विषय है। पिछले साल भारत में 1.7 लाख लोग सड़क दुर्घटना में मारे गए, लेकिन यह नहीं कहा जा सकता कि इसके लिए सिर्फ LMV लाइसेंस धारक जिम्मेदार हैं। सीट बेल्ट, हेलमेट जैसे नियमों का पालन न होना, ड्राइविंग के दौरान मोबाइल का इस्तेमाल, नशा कई कारण हैं जिनके चलते सड़क दुर्घटना होती हैं।
लाइसेंस अथॉरिटी को दिया सुझाव
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 7500 किलोग्राम तक के वजन वाले निजी या कमर्शियल वाहनों में अंतर करना सही नहीं होगा। विशेष लाइसेंस का नियम इससे अधिक वजन के वाहनों के लिए होना चाहिए। हालांकि, कोर्ट ने यह भी कहा है कि लाइसेंसिंग ऑथोरिटी को ड्राइविंग लाइसेंस देते वक्त हर नियमों का पालन करना चाहिए। कोर्ट का मतलब ये था कि अथॉरिटी ड्राविंग टेस्ट जरूर ले।
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