अमेरिका के 22 राज्यों के अटॉर्नी जनरल ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा बर्थराइट पॉलिसी में बदलाव के खिलाफ मुकदमा दायर किया। यह पॉलिसी उन बच्चों को नागरिकता की गारंटी देती है जो अमेरिका में जन्मे हैं।
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ट्रंप ने सोमवार, 20 जनवरी को पदभार ग्रहण करने के तुरंत बाद अपने लंबे समय के वादों को पूरा करने के लिए राष्ट्रपति की शक्तियों का इस्तेमाल किया।
अमेरिकी सरकार को निर्देश देने वाले ट्रंप के एक आदेश में शामिल था कि वह अमेरिका में जन्मे ऐसे कई बच्चों को पासपोर्ट, नागरिकता प्रमाण पत्र और अन्य दस्तावेज जारी करना बंद कर दे, जिनकी माताएं अवैध रूप से देश में हैं या जिनके माता-पिता में से कोई भी कानूनी रूप से स्थायी निवासी नहीं है।
ट्रम्प के इस आदेश के बाद अवैध प्रवासियों या वीजा पर रहने वाले लोगों के उन बच्चों को नागरिकता नहीं मिल पाएगी जिनका जन्म अमेरिका में हुआ है। ट्रम्प ने इस आदेश को लागू करने के लिए 30 दिन का समय दिया है।
जानें क्या है बर्थराइट पॉलिसी
1868 में किए गए 14वें संविधान संशोधन के तहत अमेरिका में जन्मे सभी व्यक्तियों को नागरिकता का अधिकार दिया गया। यह संशोधन खास तौर पर पूर्व दासों को नागरिकता और समान अधिकार प्रदान करने के उद्देश्य से लागू किया गया था।
इसके अनुसार, अमेरिका में जन्मे किसी भी बच्चे को (विदेशी राजनयिकों के बच्चों को छोड़कर) स्वाभाविक रूप से अमेरिकी नागरिक माना जाता है।
किन राज्यों में हो रहा विरोध
ट्रम्प के आदेश के खिलाफ कोलंबिया डिस्ट्रिक्ट और सैन फ्रांसिस्को सहित 22 राज्यों ने फेडरल अदालत में मुकदमा दर्ज किया है। इनमें कैलिफोर्निया, न्यूयॉर्क, मैसाचुसेट्स, कोलोराडो, कनेक्टिकट, डेलावेयर, हवाई, मैरीलैंड, मिशिगन, मिनेसोटा, नेवादा, न्यू मैक्सिको, उत्तरी कैरोलिना, रोड आइलैंड, वर्मोंट और विस्कॉन्सिन जैसे राज्य शामिल हैं।