Axiom-4 मिशन: शुक्ला समेत 4 विदेशी क्रू मेंबर्स ने अंतरिक्ष के लिए उड़ान भरी

1984 के बाद पहले भारतीय अंतरिक्ष यात्री बने, NASA और SpaceX के सहयोग से हुआ प्रक्षेपण

25 जून 2025 को भारत के लिए ऐतिहासिक दिन बन गया है जब वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला अमेरिका के फ्लोरिडा स्थित NASA के केनेडी स्पेस सेंटर से Axiom-4 मिशन पर अंतरिक्ष के लिए रवाना हुए। उन्हें स्पेसX के फाल्कन-9 रॉकेट के ज़रिए अंतरिक्ष में भेजा गया।

उड़ान भरने की जगह होगी, NASA के कैनेडी स्पेस सेंटर का कॉम्प्लेक्स 39A। स्पेसक्राफ्ट 28 घंटे की यात्रा करेगा। इसके बाद, गुरुवार को शाम 4:30 बजे अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन में पहुंचेगा।

‘रियलाइज द रिटर्न’ थीम पर आधारित, ISS के लिए ये चौथा निजी मिशन है। जिसमें 40 सालों के बाद कोई भारतीय अंतरिक्ष में जाएगा। इससे पहले, 1984 में विंग कमांडर राकेश शर्मा गए थे। तब राकेश शर्मा ने सोवियत सैल्यूट-7 ऑर्बिटल स्टेशन पर लगभग आठ दिन बिताए थे। शुक्ला राकेश शर्मा के बाद दूसरे भारतीय हैं जो अंतरिक्ष की यात्रा पर गए हैं।

Axiom Mission 4 क्या है

अंतरिक्ष यात्रियों को ISS पर क़रीब 14 दिन बिताने हैं। इस दौरान वो विज्ञान, आउटरीच और कमर्शियल एक्टिविटी से जुड़े मिशन को ऑपरेट करेंगे। ये अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) के लिए एक निजी अंतरिक्ष यात्री मिशन है।

ये भारत, पोलैंड और हंगरी के लिए मानव अंतरिक्ष यान में वापसी के सपने को साकार करेगा क्योंकि ये मिशन, तीनों ही देशों के लिए 40 सालों में पहली बार होगा।

ये मिशन सबसे पहले 29 मई को शुरू होने वाला था। लेकिन इसमें कई बार देरी हुई है, जिसके लिए लॉन्च व्हीकल में समस्या और ISS के मॉड्यूल पर दबाव में बदलाव, जैसी कई वजहें ज़िम्मेदार हैं।

अंतरिक्ष में करेंगे 60 वैज्ञानिक प्रयोग

मिशन के दौरान शुभांशु करीब 60 प्रयोग करेंगे जिनमें शामिल हैं:

  • अंतरिक्ष में मेथी और मूंग की खेती
  • टार्डीग्रेड्स (सूक्ष्मजीव) पर रिसर्च
  • मानव मांसपेशियों की प्रतिक्रिया और
  • माइक्रोग्रैविटी में डिजिटल स्क्रीन के प्रभाव पर अध्ययन

क्रू मेंबर

Axiom-4 मिशन में कुल 4 सदस्य शामिल हैं:

  • पेगी व्हिटसन (पूर्व NASA अंतरिक्ष यात्री, मिशन कमांडर)
  • तिबोर कापु (हंगरी, मिशन स्पेशलिस्ट)
  • स्लावोश उज़नान्स्की (पोलैंड, वैज्ञानिक)
  • और भारत के शुभांशु शुक्ला, जो इस मिशन के पायलट हैं।

मई से ही ये लोग क्वारंटीन में हैं। ताकि ये सुनिश्चित किया जा सके कि अंतरिक्ष में रहते हुए उन्हें कोई इंफेक्शन न हो और अंतरिक्ष के वातावरण में कीटाणुओं की एंट्री ना हो।

यह क्रू करीब 14 दिन तक अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर रहेगा, जहां सभी वैज्ञानिक शोध और प्रयोग किए जाएंगे। शुक्ला ने अंतरिक्ष में पहुंचने के बाद संदेश में कहा कि यह पल केवल उनके लिए नहीं, पूरे भारत के लिए गर्व का क्षण है।

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