गोल्ड-सिल्वर से लेकर बैंकिंग और किचन तक, जानें क्या है नया
नए महीने के साथ ही आम लोगों की जिंदगी में कई बड़े बदलाव दस्तक दे चुके हैं। सितंबर 2025 की शुरुआत से लागू होने वाले ये नियम हर किसी की जेब और बजट को प्रभावित करेंगे। चाहे बात गहनों की खरीदारी की हो, गैस सिलेंडर के दाम की, या फिर बैंकिंग और निवेश की—हर जगह इन नए नियमों का असर देखने को मिलेगा।
1- अब चांदी भी होगी हॉलमार्क के दायरे में
सोने की तरह अब चांदी पर भी हॉलमार्किंग अनिवार्य हो गई है। यानी बाजार में बिकने वाले सिल्वर ज्वेलरी और बर्तनों की शुद्धता अब तय होगी। इससे उपभोक्ताओं को नकली या कम शुद्धता वाले सामान से राहत मिलेगी। हालांकि एक्सपर्ट्स का मानना है कि इससे सिल्वर प्राइस में उतार-चढ़ाव आ सकता है, जो निवेश करने वालों के लिए अहम होगा।
2- SBI क्रेडिट कार्ड धारकों पर सख्ती
देश के सबसे बड़े बैंक ने अपने कार्ड यूज़र्स के लिए नए नियम लागू किए हैं। ऑटो-डेबिट फेल होने पर अब सीधे 2% पेनल्टी देनी होगी। इसके अलावा अंतरराष्ट्रीय लेनदेन, फ्यूल परचेज और ऑनलाइन शॉपिंग पर भी चार्जेस और रिवॉर्ड प्वाइंट्स के नियम बदल दिए गए हैं। यानी क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल अब पहले से महंगा साबित हो सकता है।
3-गैस सिलेंडर की कीमतें फिर अपडेट
हर महीने की तरह इस बार भी 1 सितंबर को एलपीजी सिलेंडर के नए दाम तय हुए हैं। कीमतें बढ़ीं तो रसोई का खर्च बढ़ेगा, और अगर दाम घटे तो आम उपभोक्ता को थोड़ी राहत मिलेगी। यह बदलाव सीधे तौर पर घर के महीनेभर के किचन बजट को प्रभावित करता है।
4- ATM से कैश निकालना महंगा
कई बैंकों ने एटीएम से कैश निकालने के नियम बदल दिए हैं। तय लिमिट से ज्यादा बार पैसे निकालने पर अब पहले से ज्यादा ट्रांजैक्शन चार्ज देना होगा। इसका मकसद है लोगों को डिजिटल पेमेंट की तरफ प्रोत्साहित करना। यानी जो लोग बार-बार कैश निकालते हैं, उनकी जेब पर अतिरिक्त बोझ पड़ सकता है।
5- FD पर ब्याज दरें बदलने की तैयारी
सितंबर में कई बैंक अपनी फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) ब्याज दरों की समीक्षा कर रहे हैं। इस समय 6.5% से 7.5% तक ब्याज दिया जा रहा है, लेकिन मार्केट एक्सपर्ट्स का मानना है कि आने वाले समय में इसमें कटौती की संभावना है। ऐसे में निवेशकों के लिए यह सही समय हो सकता है कि वे जल्दी फैसले लें।
1 सितंबर से लागू ये नियम केवल कागज़ी बदलाव नहीं हैं, बल्कि ये हर घर के डेली एक्सपेंस और सेविंग्स को प्रभावित करेंगे। हॉलमार्किंग के चलते ज्वेलरी सेक्टर में पारदर्शिता बढ़ेगी, जबकि बैंकिंग और क्रेडिट कार्ड नियम उपभोक्ताओं पर अतिरिक्त बोझ डाल सकते हैं। वहीं एलपीजी और एटीएम चार्जेज का सीधा असर आम आदमी के मंथली बजट पर पड़ेगा।













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