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दिल्ली मेट्रो ब्लास्ट में 9 की मौत

उमर नबी संदिग्ध; मृतकों की पहचान डीएनए जांच से तय होगी

लाल किला मेट्रो स्टेशन के गेट नंबर-1 के पास सोमवार शाम हुए भीषण विस्फोट ने राष्ट्रीय राजधानी की सुरक्षा व्यवस्था को झकझोर दिया है।

इस हादसे में अब तक 9 लोगों की मौत हो चुकी है और 24 लोग घायल हैं। दो शवों की पहचान कर ली गई है, जबकि शेष सात शवों की पहचान डीएनए परीक्षण से होगी।

घटना की संवेदनशीलता को देखते हुए सुरक्षा एजेंसियों ने इसे संभावित आत्मघाती हमला मानकर जांच तेज कर दी है।

संदिग्ध की पहचान पुलवामा निवासी डॉ. उमर नबी के रूप में, फुटेज में कार में बैठा दिखाई दिया।

धमाका जिस सफेद i20 कार में हुआ, उसका एक CCTV फुटेज सामने आया है। फुटेज में एक व्यक्ति काले मास्क के साथ कार से निकलते हुए दिखाई देता है।

दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल और अन्य एजेंसी रिपोर्ट्स में इस व्यक्ति की पहचान पुलवामा निवासी डॉ. मो. उमर नबी के रूप में की गई है।

सूत्रों के अनुसार, विस्फोट के वक्त वह कार में मौजूद था और विस्फोटकों के साथ खुद को उड़ा लिया। कश्मीर पुलिस ने डीएनए मिलान के लिए उसकी मां और दो भाइयों को हिरासत में लेकर नमूने लिए हैं।

जांच एजेंसियां इस बात की पुष्टि में जुटी हैं कि उमर किसी केंद्रीय मॉड्यूल का हिस्सा था या दिल्ली में किसी विशेष टारगेट का इंतजार कर रहा था।

ढाई घंटे तक कार में बैठा रहा उमर

शीर्ष एजेंसी इनपुट के अनुसार उमर दोपहर 3:19 बजे कार पार्किंग में दिखाई देता है और लगभग ढाई से तीन घंटे तक वहीं बैठा रहता है।

दिल्ली पुलिस का कहना है कि वह न तो कार से उतरा और न ही किसी से प्रत्यक्ष संपर्क में आता दिखाई दिया।

प्रारंभिक जांच इस संभावना की ओर इशारा करती है कि या तो वह किसी निर्देश का इंतजार कर रहा था या किसी विशेष व्यक्ति के पहुंचने की प्रतीक्षा में था।

पुलिस सूत्रों ने इसे फरीदाबाद-आधारित मॉड्यूल से जुड़े आतंकी तत्वों की गतिविधियों के अनुरूप बताया है।

धमाके के बाद लाल किला सील

विस्फोट के तुरंत बाद NSG, दिल्ली पुलिस, CISF और IB की टीमें राहत, बचाव और फोरेंसिक जांच में जुट गईं। स्थल को पूरी तरह घेर लिया गया है।

एहतियात के तौर पर लाल किला को 13 नवंबर तक पर्यटकों के लिए बंद कर दिया गया है और मेट्रो स्टेशन के दो गेट भी सील कर दिए गए हैं।

सुरक्षा एजेंसियों ने घटनास्थल से बरामद हर सैंपल को हाई-प्रिसिजन परीक्षण के लिए भेजा है। अभी तक आरडीएक्स या उच्च शक्ति वाले विस्फोटकों के निशान नहीं मिले हैं, जिससे जांच और जटिल हो गई है।

एलएनजेपी अस्पताल के डॉक्टरों और फोरेंसिक एक्सपर्ट्स ने बताया कि मृतकों के शरीर पर काले जलन वाले निशान नहीं हैं, जो आमतौर पर IED विस्फोट में पाए जाते हैं।

घायलों पर भी छर्रे या स्प्लिंटर के घाव नहीं मिले हैं। इससे संकेत मिलता है कि घटना में इस्तेमाल किया गया विस्फोटक पारंपरिक IED से भिन्न प्रकृति का हो सकता है।

जांच एजेंसियां इस पहलू को अत्यधिक गंभीरता से ले रही हैं, क्योंकि राजधानी जैसे उच्च सुरक्षा क्षेत्र में इस पैटर्न का विस्फोट बड़ा संकेत माना जा रहा है।

अफरातफरी का माहौल और जलती वाहनों की कतार

धमाके के बाद मेट्रो पार्किंग में अफरातफरी मच गई। गवाहों ने बताया कि कार आग का गोला बन गई और आसपास खड़ी कई गाड़ियां भी तुरंत आग पकड़ गईं।

लोग बदहवास होकर भागते नजर आए। मौके पर मौजूद लोगों ने घायलों को एम्बुलेंस तक पहुंचाया और बाद में पुलिस ने पूरे क्षेत्र को खाली करवाया।

https://regionalreporter.in/how-did-the-mind-become-festive-in-the-moment-of-pain-and-misrule/
https://youtu.be/kYpAMPzRlbo?si=4CLROQI2GAYMYoC9

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