मणिपुर में गुरुवार, 13 फरवरी से राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया है। इससे पहले राज्य के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने रविवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया था।
एन. बीरेन सिंह के इस्तीफा देने के चार दिन बाद भी जब राज्य की राजनीतिक स्थिति अनिश्चित बनी रही। मणिपुर में सत्तारूढ़ बीजेपी की और ओर से नए नेता के बारे में कोई फैसला नहीं किया जा सका तो ऐसी स्थिति में राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया।
12वीं मणिपुर विधानसभा का पिछला सत्र 12 अगस्त, 2014 को संपन्न हुआ था, जबकि 10 फरवरी से शुरू होने वाले सातवें सत्र को राज्यपाल भल्ला निरस्त कर चुके हैं।
मणिपुर में मई 2023 से ही मैतेई और कुकी-जो समुदायों के बीच जातीय संघर्ष जारी है, जिसमें अब तक 200 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने एक अधिसूचना जारी कर बताया कि उन्हें मणिपुर के राज्यपाल की रिपोर्ट प्राप्त हुई है। इस रिपोर्ट और अन्य जानकारियों की समीक्षा के बाद वह इस निष्कर्ष पर पहुंची हैं कि राज्य सरकार संविधान के प्रावधानों के अनुसार कार्य करने में असमर्थ हो गई है।
जानें क्यों लागू किया जाता है अनुच्छेद-356
संविधान का अनुच्छेद-356 केंद्र सरकार को किसी भी राज्य सरकार को हटाकर प्रदेश का नियंत्रण अपने हाथ में लेने का अधिकार देता है। संविधान का अनुच्छेद-356 कहता है कि किसी भी राज्य में संवैधानिक तंत्र नाकाम होने या इसमें रुकावट पैदा होने पर राष्ट्रपति शासन लगाया जा सकता है।
किसी भी राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने के दो आधार हो सकते हैं। पहला, जब कोई राज्य सरकार संविधान के मुताबिक शासन चलाने में सक्षम ना हो और दूसरा, जब राज्य सरकार केंद्र सरकार के निर्देशों को लागू करने में पूरी तरह से नाकाम साबित हुई हो। राष्ट्रपति शासन लागू होने के बाद राज्य की सभी शक्तियां राष्ट्रपति के पास चली जाती है।