तेलंगाना देश का पहला राज्य बन गया है जिसने अनुसूचित जाति (SC) वर्गीकरण को आधिकारिक रूप से लागू कर दिया है। इस फैसले के तहत, अनुसूचित जातियों के अंतर्गत आने वाले विभिन्न उप-समुदायों को उनके सामाजिक-आर्थिक पिछड़ेपन के आधार पर वर्गीकृत किया जाएगा, जिससे लाभ का वितरण अधिक समान और न्यायसंगत तरीके से हो सकेगा।
मुख्यमंत्री ए रेवंत रेड्डी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में घोषणा करते हुए कहा कि यह निर्णय लंबे समय से चली आ रही मांगों को ध्यान में रखते हुए लिया गया है। उन्होंने कहा, “हमारा उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि सभी उप-वर्गों को समान अवसर मिलें और कोई भी समुदाय पीछे न छूटे।”
तेलंगाना सरकार ने इस निर्णय के लिए एक विशेष आयोग की सिफारिशों को आधार बनाया है, जिसने अनुसूचित जातियों के भीतर असमानताओं की पहचान की और पुनर्वितरण नीति सुझाई।
मुख्य बिंदु:
- SC वर्गीकरण के तहत लाभार्थियों को उप-समुदायों के आधार पर आरक्षण और योजनाओं का लाभ मिलेगा।
- सरकार ने कहा है कि यह कदम “सामाजिक न्याय” को सशक्त बनाएगा।
- अन्य राज्यों में भी इस मॉडल को अपनाने की संभावनाएं बढ़ी हैं।
- सामाजिक कार्यकर्ताओं और कई दलों ने इस कदम का स्वागत किया है, वहीं कुछ वर्गों ने इसके क्रियान्वयन पर पारदर्शिता की मांग भी उठाई ह
15 जातियों को 1, 18 को नौ और 26 को पांच फीसदी आरक्षण
आदेश के अनुसार पहली श्रेणी में 15 जातियों को एक फीसदी, दूसरी में में 18 फीसदी जातियों को 9 फीसदी और तीसरी श्रेणी में 26 जातियों को पांच फीसदी आरक्षण दिया गया है।
जस्टिस अख्तर आयोग ने इन जातियों का वर्गीकरण उनकी सामाजिक, आर्थिक और शैक्षिक स्थिति के आकलन के आधार पर किया है। रेड्डी ने कहा, आज और अभी से तेलंगाना में नौकरी और शिक्षा में एससी वर्गीकरण लागू हो गया है। हमने सरकारी आदेश जारी कर दिया है और पहली प्रति मुख्यमंत्री को सौंप दी है।
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