भारत-पाक तनाव के बीच 259 शहरों में होने जा रही मॉक ड्रिल

जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव अपने चरम पर है। जहां एक ओर इस हमले की जिम्मेदारी लश्कर-ए-तैयबा आतंकी संगठनों पर डाली जा रही है।

दूसरी ओर भारत ने कड़ा रुख अपनाते हुए पाकिस्तान को स्पष्ट संकेत दे दिया है कि अब “सिर्फ निंदा नहीं, कार्रवाई होगी”।

इस बदलती सुरक्षा स्थिति के बीच, भारत सरकार के केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 7 मई को देशभर के 259 शहरों में व्यापक मॉक ड्रिल का आदेश जारी किया है, जो केवल एक अभ्यास नहीं बल्कि रणनीतिक प्रतिक्रिया का हिस्सा माना जा रहा है।

इस बार शहरों को तीन अलग-अलग कैटेगरी में विभाजित कर एक विशिष्ट रणनीति के तहत योजना बनाई गई है — जिसका मुख्य उद्देश्य वर्तमान भू-राजनीतिक खतरे, विशेषकर पाकिस्तान से संभावित टकराव, के प्रति तैयार रहना है।

कैटेगरी आधारित शहरों का वर्गीकरण: रणनीतिक सोच की झलक

गृह मंत्रालय ने इस ड्रिल के लिए जिन 259 शहरों का चयन किया है, उन्हें तीन श्रेणियों में विभाजित किया है — कैटेगरी-1 (उच्च प्राथमिकता), कैटेगरी-2 (मध्यम प्राथमिकता) और कैटेगरी-3 (आगामी जोखिम वाले क्षेत्र)।

कैटेगरी-1: हाई वैल्यू और संवेदनशील ज़ोन (13 शहर)

इन शहरों में परमाणु संयंत्र, औद्योगिक केंद्र, रक्षा प्रतिष्ठान और मेट्रो हब शामिल हैं।
शहर जैसे:

  • दिल्ली (संपूर्ण राजधानी क्षेत्र)
  • बुलंदशहर (नरोरा) — उत्तर प्रदेश
  • सूरत, वड़ोदरा, काकरापार — गुजरात
  • मुंबई, उरान, तारापुर — महाराष्ट्र
  • कोटा, रावतभाटा — राजस्थान
  • चेन्नई, कलपक्कम — तमिलनाडु
  • तलचर — ओडिशा

इन क्षेत्रों में मॉक ड्रिल के दौरान हाई इंटेंसिटी एयर स्ट्राइक सिमुलेशन, रेड अलर्ट प्रोसेस, और रिएक्टर सेफ्टी रेस्पॉन्स जैसे एलिमेंट्स जोड़े जाएंगे।

कैटेगरी-2: संवेदनशील, सीमावर्ती और रणनीतिक शहर (201 शहर)

यह सबसे बड़ी श्रेणी है और इसमें कश्मीर घाटी, पूर्वोत्तर भारत, और उत्तर भारत के प्रमुख शहर शामिल हैं।
उदाहरण:

  • श्रीनगर, अनंतनाग, पूंछ, करगिल, राजौरी
  • लखनऊ, प्रयागराज, मेरठ, वाराणसी, गाजियाबाद
  • गुवाहाटी, तेजपुर, विशाखापत्तनम, डिगबोई
  • ग्रेटर कोलकाता, हैदराबाद, देहरादून, शिमला

इन क्षेत्रों में संघर्ष कालीन निकासी, संचार बाधा सिमुलेशन, और सिविलियन कंट्रोल प्रक्रिया का अभ्यास होगा।

कैटेगरी-3: संभावित उभरते खतरे वाले क्षेत्र (45 शहर)

यह श्रेणी उन इलाकों को ध्यान में रखते हुए बनाई गई है जो नई सुरक्षा चुनौतियों के तहत सामने आए हैं।
जैसे:

  • बोमडिला, गोलाघाट, कोकराझार (पूर्वोत्तर)
  • बेगूसराय, गोड्डा, भुसावल, बर्धमान
  • गुरुग्राम, हिसार, झज्जर, पुलवामा, मुजफ्फरनगर, बागपत

यहां स्थानीय प्रशासन की तत्परता, खुफिया डेटा ट्रांसफर, और ग्रामीण क्षेत्रों में नागरिक भागीदारी पर ज़ोर दिया जाएगा।

हमले के बाद भारत की सुरक्षा रणनीति

22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 नागरिकों की मौत और दर्जनों घायल हुए थे। इस हमले ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। इस भीषण हमले के बाद भारत सरकार ने सख्त कूटनीतिक और सुरक्षा स्तर पर कदम उठाने का निर्णय लिया है।

भारत ने तुरंत जवाबी रणनीति के तहत राज्य सरकारों, सैन्य कमांड और खुफिया एजेंसियों को हाई अलर्ट पर डाल दिया है। इसी कड़ी में गृह मंत्रालय द्वारा 7 मई को सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में मॉक ड्रिल कराने का आदेश दिया गया है।

क्या होगा इस मॉक ड्रिल में

  1. भीड़-भाड़ वाले स्थानों पर आतंक विरोधी अभियान का अभ्यास
  • रेलवे स्टेशन, बस अड्डे, मॉल, धार्मिक स्थल, और स्कूलों में आतंकी हमले के सिमुलेशन
  • बम विस्फोट या फायरिंग की स्थिति में त्वरित प्रतिक्रिया का परीक्षण
  1. आपदा प्रबंधन और मेडिकल रिस्पॉन्स
  • घायल नागरिकों की निकासी
  • फर्स्ट एड, एंबुलेंस मूवमेंट, अस्पतालों में आपातकालीन व्यवस्था
  1. जनसंचार और अलर्ट सिस्टम की जांच
  • सायरन, मोबाइल अलर्ट, रेडियो/टीवी के माध्यम से जानकारी देना
  • अफवाहों से निपटने के लिए सूचना नियंत्रण रणनीति
  1. सुरक्षा एजेंसियों के बीच समन्वय
  • पुलिस, NDRF, सेना, होम गार्ड और प्रशासन के बीच रियल-टाइम तालमेल
  • SOP (Standard Operating Procedures) की समीक्षा
  1. नागरिकों की भागीदारी
  • जनता को सिखाया जाएगा कि हमले की स्थिति में कैसे सुरक्षित रहें
  • शेल्टर ढूंढना, मदद करना, सूचना देना जैसे व्यवहार सिखाए जाएंगे

इस अभ्यास का रणनीतिक उद्देश्य

  • कश्मीर और नॉर्थ ईस्ट में विशेष ध्यान: इन क्षेत्रों में विद्रोह और सीमा पार हमलों की आशंका के मद्देनज़र, स्थानीय नेटवर्क को मजबूती देना।
  • हवाई हमले की चेतावनी प्रणाली की टेस्टिंग: सीमावर्ती राज्यों (जैसे पंजाब, राजस्थान, गुजरात) में वॉर्निंग सिस्टम की सक्रियता की जांच।
  • जनता को सतर्कता सिखाना: मॉक ड्रिल में स्थानीय नागरिकों की भागीदारी सुनिश्चित कर, जन-जागरूकता और आत्म-रक्षा की शिक्षा देना।
  • सीमा और शहरों के बीच समन्वय: सिविल प्रशासन, पुलिस, सेना और आपदा प्रबंधन एजेंसियों की संयुक्त प्रतिक्रिया क्षमता का परीक्षण।
https://regionalreporter.in/drdo-successfully-tested-indigenous-migm/
https://youtu.be/jGaRHT7bFcw?si=OPBP5V6GEUYnn_HD

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