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उत्तरकाशी में आपदा का कहर

  • बादल फटने से धराली तबाह, केदारनाथ यात्रा स्थगित
  • 70 लोग लापता, चार की मौत की पुष्टि

उत्तरकाशी जिले के धराली गांव में मंगलवार, 05 अगस्त दोपहर बादल फटने से खीरगंगा नदी में आई भीषण बाढ़ ने पूरे इलाके को तहस-नहस कर दिया।

पानी और मलबे के तेज बहाव ने धराली का मुख्य बाजार, कई होटल, दुकानें और सेब के बगीचे पूरी तरह नष्ट कर दिए। प्रसिद्ध कल्प केदार मंदिर भी मलबे में बह गया। प्रशासन ने अब तक चार लोगों की मौत की पुष्टि की है, जबकि करीब 70 लोग लापता बताए जा रहे हैं।

130 लोगों को किया गया रेस्क्यू

प्रशासन, SDRF, NDRF, ITBP और सेना की टीमें मौके पर राहत और बचाव कार्य में जुटी हैं। अब तक 130 से अधिक लोगों को सुरक्षित निकाला जा चुका है।

इस सैलाब की चपेट में आने से अब तक 10 लोगों के मारे जाने की खबर है, वहीं सेना के करीब 10 जवान समेत कई लोग अभी भी लापता है। सेना, SDRF, NDRF और पुलिस-प्रशासन की टीमें युद्धस्तर पर राहत और बचाव कार्य में जुटी हैं।

सेना की 14वीं RAJRIF के कमांडिंग ऑफिसर कर्नल हर्षवर्धन 150 जवानों के साथ बचाव और राहत कार्यों में लगे हुए हैं।  बादल फटने से मची तबाही के बाद रेस्‍क्‍यू ऑपरेशन तेजी से चल रहा है। धराली में आई आपदा को लेकर स्टेट कंट्रोल रूम से नजर रखी जा रही है।

खराब मौसम से रेस्क्यू ऑपरेशन में परेशानी

मौसम खराब होने से राहत और बचाव के काम में भी मुश्किलें आ रही हैं। पूरे उत्तराखंड में बारिश से भूस्खलन की भी कई घटनाएं सामने आई हैं।  एडीआरएफ ने उत्तराखंड में बादल फटने की घटना में मारे गए लोगों का पता लगाने में मदद के लिए शव खोजी कुत्तों की अपनी पहली टीम तैनात करने का फैसला किया है। इन कुत्तों के एक जोड़े को दिल्ली से हवाई मार्ग से लाया जाएगा, जबकि राज्य के विभिन्न स्थानों से बल की तीन टीम घटनास्थल पर पहुंच गई हैं जिनमें प्रत्येक में 35 बचावकर्मी शामिल हैं।

खीरगंगा नदी का विनाशकारी इतिहास

खीरगंगा नदी, जो भागीरथी की सहायक नदी है, पहले भी कई बार तबाही मचा चुकी है। जानकार बताते हैं कि कभी धराली में 240 मंदिरों का समूह हुआ करता था, जो कि कत्यूरी शैली में बने हुए थे।

इन मंदिरों का उल्लेख वर्ष 1816 में गंगा भागीरथी के उद्गम की खोज में निकले अंग्रेज यात्री जेम्स विलियम फ्रेजर ने भी अपने यात्रा वृत्तांत में किया है। लेकिन 19वीं सदी की शुरुआत में खीरगंगा नदी में आई विनाशकारी बाढ़ में उक्त मंदिरों का समूह मलबे में दब गया।

गंगोत्री हाईवे तक पहुंच जाता है बाढ़ का मलबा

इसके बाद वर्ष 2013 में जब भागीरथी नदी में विनाशकारी बाढ़ आई, तब भी खीरगंगा नदी में बाढ़ आई थी। वर्ष 2018 के अगस्त माह में रात करीब दस बजे खीर गंगा में उफान के साथ भारी मलबा आया था, जिससे गंगोत्री हाईवे पर बनी पुलिया चोक होने के बाद ऊपरी हिस्से में मलबे का जमाव बढ़ता चला गया।

नदी के पानी के साथ आया मलबा यहां बाढ़ सुरक्षा दीवार को फांद कर 50 से अधिक होटल एवं घरों में जा घुसा था। प्राचीन कल्प केदार मंदिर का आधा हिस्सा मलबे में दब गया। साथ ही आपदा में नदी से लगे सेब के बागीचों को भारी नुकसान पहुंचा था।

केदारनाथ यात्रा स्थगित

रुद्रप्रयाग जिले में लगातार बारिश के कारण सोनप्रयाग और गौरीकुंड के बीच केदारनाथ धाम जाने वाला मार्ग मलबा और पत्थरों से बाधित हो गया है। एसपी रुद्रप्रयाग अक्षय प्रल्हाद कोंडे ने बताया कि सुरक्षा के मद्देनजर अग्रिम आदेश तक केदारनाथ धाम यात्रा स्थगित कर दी गई है। मार्ग में मौजूद श्रद्धालुओं को सुरक्षित स्थानों पर रोक दिया गया है।

मौसम विभाग का रेड अलर्ट

मौसम विभाग ने उत्तराखंड में अगले कुछ घंटों के लिए रेड अलर्ट जारी किया है। प्रशासन ने स्थानीय निवासियों और तीर्थयात्रियों से अपील की है कि वे अनावश्यक यात्रा से बचें और सुरक्षित स्थानों पर रहें। मन्दाकिनी और अलकनन्दा नदियों का जलस्तर बढ़ गया है, ऐसे में नदी किनारे जाने से परहेज करने की सख्त चेतावनी दी गई है।

https://regionalreporter.in/the-frightening-lesson-of-dharali/
https://youtu.be/9QW0uH_UIwI?si=TlvqJN5PANmylX5W
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