ऊखीमठ। द्वितीय केदार मदमहेश्वर धाम यात्रा के आधार शिविर बनातोली में यात्रियों और ग्रामीणों की सुरक्षा एक बार फिर संकट में पड़ गई है।
मोरखंडा नदी पर लगा लकड़ी का अस्थायी पुल नदी की तेज धाराओं में बह गया, जिसके बाद लोक निर्माण विभाग (PWD) ने ट्रॉली की व्यवस्था की। लेकिन अब ट्रॉली का एक स्तंभ भूस्खलन के कारण खतरे में है, जिससे यात्रियों और ग्रामीणों में दहशत का माहौल बना हुआ है।
लगातार हो रही मूसलधार बारिश से मोरखंडा नदी का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है। अगर ट्रॉली का स्तंभ भी क्षतिग्रस्त हो गया तो न केवल ग्रामीणों की आवाजाही ठप हो जाएगी बल्कि मदमहेश्वर धाम की यात्रा भी गंभीर रूप से प्रभावित हो सकती है।
बुधवार को करीब तीन दर्जन यात्री ट्रॉली से नदी पार कर अपने गंतव्य तक पहुंचे, लेकिन तकनीकी खराबी की आशंका के चलते यह यात्रा जोखिम भरी बनी हुई है।

स्थानीय लोगों का कहना है कि आपदा के दो साल बाद भी स्थायी पुल का निर्माण कार्य शुरू नहीं हो पाया। बनातोली और गौण्डार के निचले हिस्सों में सुरक्षा दीवारों का निर्माण भी अधर में है। ग्रामीणों का आरोप है कि सरकार ने मदमहेश्वर धाम को पांचवां धाम घोषित करने की घोषणा तो की, लेकिन जमीनी स्तर पर अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।
गौरतलब है कि 14 अगस्त 2023 को मोरखंडा नदी की तेज धाराओं में छह दशक पुराना लोहे का गार्डर पुल बह गया था। उस समय प्रशासन ने 350 से अधिक यात्रियों को हेली रेस्क्यू कर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया था। इसके बाद कई बार अस्थायी पुल बनाए गए लेकिन हर बार नदी की धाराओं में बह गए।
विगत दिनों फिर से अस्थायी पुल बह जाने पर यात्रियों और ग्रामीणों को ट्रॉली के सहारे नदी पार करनी पड़ रही है। हालांकि लोक निर्माण विभाग ने ट्रॉली संचालन के लिए दो व्यक्तियों को तैनात किया है, लेकिन जलस्तर बढ़ने और भूस्खलन की स्थिति में बड़ा हादसा होने से इनकार नहीं किया जा सकता।
स्थानीय प्रतिनिधियों ने सरकार से जल्द से जल्द स्थायी पुल और सुरक्षा दीवारों के निर्माण की मांग की है, ताकि न केवल यात्रा सुरक्षित हो बल्कि आसपास के होटल, ढाबे और गांव भी नदी के कटाव से बचाए जा सकें।

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