भूगोल और रसायन विषय के प्रवक्ता पदों से जुड़ा मामला
उत्तराखंड हाईकोर्ट ने दिव्यांग अभ्यर्थियों के पक्ष में एक अहम फैसला सुनाया है। यह फैसला उन लोगों के लिए उम्मीद की किरण बनकर आया है जो शारीरिक रूप से असमर्थ होते हुए भी सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहे हैं।
मामला 2018 के एक विज्ञापन से जुड़ा है जिसमें भूगोल और रसायन विषय के प्रवक्ताओं की भर्ती होनी थी। इन पदों में दिव्यांग अभ्यर्थियों के लिए आरक्षण तय था। लेकिन आयोग का कहना था कि उन्हें उपयुक्त अभ्यर्थी नहीं मिले, इसलिए पद अगले वर्ष की भर्ती में जोड़ दिए गए।
2020 में फिर वही प्रक्रिया दोहराई गई
वर्ष 2020 में दोबारा वही पद विज्ञापन में डाले गए। इस बार भी आयोग ने कहा कि योग्य दिव्यांग अभ्यर्थी नहीं मिले, इसलिए इन्हें फिर से टाल दिया गया।
इस पर दिव्यांग अभ्यर्थी, जो सूची में बहुत पास थे, कोर्ट पहुंचे। उनका कहना था कि यदि आयोग ने दिव्यांगता की अलग-अलग श्रेणियों के बीच आरक्षित सीटों को इंटरचेंज किया होता, तो वे चयनित हो सकते थे।
कोर्ट ने माना – आयोग ने गलती की
हाईकोर्ट की एकलपीठ ने माना कि 2016 के दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम की धारा 34(2) के अनुसार यदि एक श्रेणी में अभ्यर्थी नहीं मिलते, तो उन्हें दूसरी श्रेणियों में बदला जाना चाहिए। आयोग ऐसा करने में असफल रहा।
कोर्ट ने उत्तराखंड लोक सेवा आयोग को आदेश दिया कि वह वर्ष 2020 के विज्ञापन में शामिल भूगोल और रसायन विषय के प्रवक्ता पदों की चयन सूची को दोबारा बनाए और उसमें कानून के अनुसार इंटरचेंज की प्रक्रिया अपनाए।





















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