सहस्त्रधारा रोड पर गरीबों और आवास विहीन लोगों के लिए प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY) के तहत प्रस्तावित दो हजार फ्लैटों की योजना पर सवाल खड़े हो गए हैं।
पूर्व मंत्री हरक सिंह रावत ने आरोप लगाया है कि गरीबों के लिए मंजूर की गई भूमि पर अवैध प्लॉटिंग की जा रही है और मसूरी-देहरादून विकास प्राधिकरण (MDDA) की भूमिका संदिग्ध नज़र आ रही है।
हरक सिंह रावत ने कहा कि श्रम मंत्री रहते हुए उन्होंने इस योजना को आगे बढ़ाया था। इसके लिए लेबर सेस की किस्तों को भी जारी किया गया और एमडीडीए से बाकायदा दो हजार फ्लैटों का नक्शा पास करवाया गया। उद्देश्य था कि झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वाले गरीब परिवारों को पक्के मकान उपलब्ध कराए जाएं।
जमीनी हकीकत पर आरोप
हाल ही में क्षेत्र के दौरे पर पहुंचे रावत ने दावा किया कि जमीन पर आवास निर्माण की जगह अवैध रूप से प्लॉटिंग की जा रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि प्राधिकरण गरीबों की योजना को नज़रअंदाज कर रहा है।
पूर्व मंत्री ने कहा कि आम नागरिक अगर एक इंच भी निर्माण सीमा से बाहर करता है, तो एमडीडीए तुरंत कार्रवाई करता है। लेकिन गरीबों के लिए स्वीकृत 2,000 आवासों की भूमि का दुरुपयोग हो रहा है और इस पर कोई जवाबदेही तय नहीं की गई।
इस बयान के बाद प्रदेश की राजनीति में हलचल तेज हो गई है। विपक्ष ने आरोप लगाया है कि विकास प्राधिकरण और प्रशासन मिलकर गरीबों के हक़ पर डाका डाल रहे हैं। वहीं, इस मामले में एमडीडीए की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है।

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