केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा देने की मांग को लेकर बुधवार को शुरू हुआ शांतिपूर्ण आंदोलन हिंसा और आगजनी में बदल गया।
इस दौरान हुई झड़पों में 4 लोगों की मौत हो गई और 80 से अधिक लोग घायल हो गए। घायलों में लगभग 40 पुलिसकर्मी भी शामिल बताए जा रहे हैं।
सामाजिक कार्यकर्ता सोनम वांगचुक लंबे समय से लद्दाख को विशेष दर्जा देने की मांग कर रहे थे। उनके समर्थन में छात्र और स्थानीय लोग सड़कों पर उतर आए, जिसके बाद पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच टकराव हो गया।
हालात बिगड़ने पर सुरक्षा बलों ने आंसू गैस के गोले छोड़े और शहरभर में भारी सुरक्षा बल तैनात कर दिए गए।
उपराज्यपाल की प्रतिक्रिया
लद्दाख के उपराज्यपाल कविंदर गुप्ता ने लेह में हुई हिंसा की कड़ी निंदा की और कहा कि प्रदेश की शांति भंग करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी। उन्होंने कहा “लोकतंत्र में सभी को अपनी बात रखने का अधिकार है, लेकिन आगजनी, पथराव और हिंसा लद्दाख की परंपरा नहीं है।”
प्रदर्शनकारियों की मुख्य मांगें
- लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा मिले।
- छठी अनुसूची के तहत संवैधानिक सुरक्षा दी जाए।
- कारगिल और लेह को अलग-अलग लोकसभा सीट मिले।
- सरकारी नौकरियों में स्थानीय लोगों को प्राथमिकता दी जाए।
अगला कदम
सूत्रों के मुताबिक, केंद्र सरकार 6 अक्टूबर को दिल्ली में बैठक बुला सकती है। गौरतलब है कि 2019 में अनुच्छेद 370 और 35A हटने के बाद जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को अलग-अलग केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया था। उस समय सरकार ने परिस्थितियाँ सामान्य होने पर पूर्ण राज्य का दर्जा देने का भरोसा दिया था।
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