मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा में पिछले दो हफ्तों में 9 बच्चों की किडनी फेल होने से मौत हो गई है। स्वास्थ्य अधिकारियों को शक है कि इन मौतों का संबंध कफ सिरप के उपयोग से हो सकता है।
पड़ोसी राजस्थान के सीकर जिले में भी इसी तरह 2 बच्चों की मौत सामने आई है। इस पर स्वास्थ्य सेवाओं के महानिदेशालय (DGHS) ने बच्चों में खांसी की दवाओं के इस्तेमाल को लेकर चेतावनी जारी की है।
मृतकों में से कम से कम 5 बच्चों ने Coldref सिरप लिया था, जबकि एक को Nextro सिरप दिया गया था।
इसके बाद निजी डॉक्टरों को निर्देश दिया गया है कि बच्चों में वायरल लक्षण दिखने पर उन्हें सीधे सिविल अस्पताल भेजा जाए।
सरकारी कार्रवाई और निगरानी
मध्य प्रदेश सरकार ने Dextromethorphan Hydrobromide सिरप के कुछ बैचों की जांच शुरू कर दी है और पूरे राज्य में इन सिरप्स के वितरण पर अस्थायी रोक लगा दी गई है।
वर्तमान में 1,420 बच्चों की सूची तैयार की गई है, जिनमें सर्दी, बुखार और फ्लू जैसे लक्षण पाए गए हैं। इन सभी पर स्वास्थ्य विभाग की विशेष निगरानी रखी जा रही है।
हालांकि, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय और CDSCO की जांच में सिरप में किसी भी तरह का हानिकारक रसायन, जैसे Diethylene Glycol (DEG) या Ethylene Glycol (EG) नहीं पाया गया।
इसके अनुसार अब तक की जांच में किसी भी सिरप में गड़बड़ी या मिलावट के सबूत नहीं मिले हैं।
DGHS की सलाह
DGHS ने दो साल से छोटे बच्चों को किसी भी खांसी और जुकाम की दवा न देने की सलाह दी है। पांच साल से कम उम्र के बच्चों के लिए भी इन दवाओं का उपयोग सामान्य तौर पर सुरक्षित नहीं माना जाता।
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