रीजनल रिपोर्टर

सरोकारों से साक्षात्कार

आवा कथा- व्यथा सुणा यों पहाड़ों की: भू त ल

गजेन्द्र दानू

जौन हिटण छौ धरती मा
स्यू आगास मा उड़ी जाणा
हम बोना भूतल मंत्री ऐगी।।
यों सडक्कियों मा हम थिंचेणा
खूब पितेणा जाम मा किटेणा
अगास मा दिखेणो हेलीकप्टर
सब बूना भू त ल मंत्री ऐगी।।
आज सड़क्कियों का गड्ढा
थछम-थछम मचौणा हल्ला
कब आलो चुनौ
कब लगला टल्ला।।
स्यू भी अगास देखणा
ऐ गे हो लो भू त ल मंत्री।। डी के देवेन्द्र उनियाल

आज काल हमारा गढ़वाली भाषा का कवि और सुन्दर गढ़वाली ल्यख्वार देवेन्द्र उनियाल जी । कख बटी फेसबुकिया रैबार भेजणा ह्वाला। तौं की ‘भू त ल ‘कविता पढ़ी तैं। मैं तैं भी जरा उकचियाट जन ह्वेगि।

कि लै कि सि कवि महोदय बात छन कना भूतल की और ल्यखणा छन अगास मा उड्णु वालु भू त ल मंत्री पर। सि अगास मा दिखेणो भी लज्ञा तै हेलीकॉप्टर परै। कनि आवाज अणी होली तोंका कनडु मा। गड्डा बाजणा छन सड़कि मा। और आवाज अणी छै तौं तैं अगासि बटी।

क्या हो होलु तौं तैं, क्वी सुपन्या त नि देखी होलु या हमरा कवि महोदय नयां – नयां त नि बैठि होलु तै हेलीकॉप्टर मा। हमैल् त नि जांण तै हेलीकॉप्टर का नज़दीक मा। कि लै कि सि हेलीकॉप्टर भिजां धूल उडंदु भ्वां मा।

आंख्यूं मा, कनडु मा बालों मा और सबसे बड़ी बात, मुख मा भी धूल ही धूल चैल जांण। बात चीत भी कन मा कन ओं से। ओंका दगडा़ मा जु आला ओंल भी बोण छि कैसे मिलणा छन तुम। इन धुआं रौली जन मनखे से।

या त ज़रा बरखा ह्वे जालि अर माटु भी जरा गीलु। तभी औंण उनियाल जी तुमौल हेलीकॉप्टर मा।तब तक हम छुईं लगुला। आपणी सड़क्कियों की टल्लों की। और उत्तराखंड का नेतों की बेरोक बेरोक – टोक जुबान की।

सरकारों की रौंनक अर दि दी भुल्यों की ठसक, बाकी सब सफा़चट

तुम सोचणु रैज्ञा कि भूतल मंत्री आकाश मां उड़दु रौन्दा , पर उ ऐगी अबरि दां सड़कि- सड़कि देहरादूना बाटा ।किलैकि वै कु हिसाब -किताब जु छुट्यों छ रोड़ पर टल्ला लगणु कु। हम पहाड़ियों का त जिंदगी मा भि टल्ला और सड़क्कियों मा भि टल्ला लगणा छन यु नेता।

पैंसा यख् बटि छन लुटणा का अर देहरादून मा बड़ी – बड़ी कोठी छन बणणा । अर कुत्ता भी चाइनीज़ पाल्यूं तख् । हम जन त क्वीं जै भि नि सकदु तौं क डेरा पर। डेरा किल्लै बूंण तौंक कोठों तैं सि भ्रष्टाचार कु व पैंसा बणणों का,छि अय्याशी का अड्डा छन।य् – द्धी नेता, होला त होला ढ़ंगा का नित्तर सब का सब तनी छन।

छि भै जी,तुम कवि लोग भी भ्वां मा नि छन देखणां का। क्वीं इमरजेंसी पडगि क्या ? जो तुम आकाशी मा नज़रों कि फाल् छन माना। चला आवा भ्वां मा।सड़कि पर अवरि दां भरतु भाई कु ठेका छ टलि लगणु कु।

वैल टली नि मारिन् ढंगा का रुद्रप्रयाग मा, तभि त तखाग् लेडीजाॅन तै तैं डबडियाई अबारि दान।पर सि भरतु भि कम नि भै। बुन छ कि तुम क्या सोचदा तुमरा वोट्यूं कु आसरा जित्यों मि। ना ना भुली मि खूब समझदु छौं तुम तैं। मैं तैं तुमरि भोट नि चैंनि। मैं मु भिजां जुगाड़ छन भोट्यूं क।

अर भुल्लि भि कम नि।वैल भि अपणि और अन्यों की दर्द भरी दास्तां की क्षेत्र वाल्यों की पीड़ा कु भार संभालि तैं।बोलि कि अगर तुम हमरी बात निछन सुणणा का त यख किलै ऐन? क्या काम छ आपूंग यख बच्चों?

अर भरतु भाई भि मनी मन सोचणूं कू कि हम जख़ जान्दा तख हम तैं सिर्फ नारा चैन्दी धर्म का। बाकी कर्म त हमरि ईवीएम करदि च।पर भैजी तुम बुरू नि मान्या। कि लै कि कबारि -कबारि तुम भि करदा होला ईवीएम – इवीएम।

भैजी आजकल कै पर भी विश्वास नि करुणु चैंदी ।और -त- और मशीन पर भी ना । मशीन कनि ? अपणु फोन भि त मशीनै च ।अच्छा, तै पर भी आजकल झुठी-झुठी खबर छन औंणा। और हम जन सीधा-सादा लोग, जन तै फोन मा ल्वख्या रौंल तनि सच , मानि -मानि तैं,अपणु नाश कर यालि। तै फोनाकु देखि-देखि तैं आंखा भी फुट गिन । भिजां महंगु चश्मा भी बणैलि अबरि दौं चुनौ टैम पर। तै टैम हम सुदि गौं – गौं मा घुमणु रैंन।

अब तुम हि बोला कि हम तैं क्या मिलि? कु छु ना । उल्टा स्कूल बंद ह्वेगिनी ,अस्पताल्यों मा डॉक्टर हि नि छन ।
पर भै जी आजकल गाड़ का गंगलोड़ा,रेत-बजरी खूब उठियाणा छन । हमारा गाड़- गधेरों बटि। रात -रात भर भी ।

कुज्या़णि तब,कन परमिशन मिलीं यों तैं । रात मा खनन करण क वास्ता। कु हो लु परमिशन दिणों वालु? तै क डौरा भाना पुलिस भी चुप छ बैठीं । या होली कै धन कुबेर कु आश्वासन पर कि चुप्पी रा ह्वे जालि मन की मनोकामना पूरी।और जनता कु रैबासि कु हो लु ?

सच बोला त हितैषी कु हो लु! तै कु अब क्वी रखवालु नि रै।अर तै खनन कु भाना बड़ा-बड़ा नेता तुम्हारी पार्टी वाला भी हा…हा…हा सबका सब,मिल्यां छन। यि नेता आजकल धूल मिट्टी मां खूब गिनती क नौं रौंदा तौं ट्रकों की। क्या बोल्दा वों तैं ? तौं तैं डंफरों की , गिनती। पर भै जी डंफर! क्या भयंकर चलदा छन सि डंफर सड़कियों पर। जन फ्वां …मोटर जन।

तौं डंफरोंल कई बुढ़ा – बाल्यों तैं टक्कर मारी -मारी डरैली ,लोगों तैं। लोग डारगिन पर तौं कु रुतबा कम नि ह्वे भै जी। तों तैं नेतों कु आशीर्वाद जु छ ,रुपयों की छट पटाट वा लि आशीर्वाद । कुजाणि त। अब अग्नै कि होलु हमारू । हमैल् सुरक्षित कन मा रौंण। ये धूला रौला मा।

हमारा नेता धूल चाटण लग्या, पेपर चोरी करण लग्यां छन, सब कुछ पैसों का खातिर। स्कूल, अस्पताल बन्द करवांणा छन,प्राईवेट स्कूल -अस्पताल्यों क खातिर।

जनता भि भैजी बेवकूफ़ ही छ। कि लै कि न तो हमारा नेता धार्मिक छन और ना ही सरकार का मंत्री हि धार्मिक छन। उल्टा सि बलात्कारियों क सपोर्ट छन कना। और कभी -कभी त भै जी सि छुटभैया नेता भी बलात्कारी बण जांणा छन।

अब बोला त कै मा बोला। अपणि रूणी- गुणी ? अपणु दुःख डु। बाल – बच्चा,भै-बन्ध सभी बेरोजगार ह्वेगिन ,कखि बटि भी नि छ रईं आस रुपया पैसों की। अगर कुछ पैंसा ऐ भि गिनी त,घरवाला अपणु कपाल् फोड़ दिन दा।जखी तखी सरकारी दारू क दुकान छन खुल्यां छक्की तैं दारू छन लोग पिणां।

भै जी अब तुम्हीं बोला कि हमैल् क्या कण।भैजी अबरि दौं बरसात मां भिजां टूट -फूट ह्वे, कई लोग दब गिन ,मर गिन ,गाय- बच्छी, घर -द्वार सभी से हाथ ध्वेन, पर एक भी नेता नि दबिन। त्यौं नेतोंल् उल्टा लोगों का विकास का रुपया दबैन।कन मोटा-मोटा अरु चल चला बण्यां छन सबका सब नेता।

पर भैजी , जनता ल इथा रूणी-गुणी लगै तुम मा।पर तु मैंल कु छ भि नि बोलि भाई ! क खि तुम पत्रकार त नि छन ? यों पत्रकारों ल भी चौपट करिं छ। जनता कि कमै तों का पोटका मा भि छ जांणि। पर जनता कि एक परेशानी भी नि छन ल्यखणां का। सरकार का खातिर फाल् छन माना।भै

जी भिजां पैंसा मिल्दु होल न इना – इना पत्रकारों तैं ? यक्- द्वी पत्रकार भ्रष्टाचार कि बात भि छा बुनाका तौं तैं भी नेतों का चमचों ल जांन गवांण वाली धक्का दे देई।

अब तुम इन बतावा कि बेरोजगारों ल हड़ताल करि रात-भर, दिनभर देहरादून परेड़ ग्राउंड मा,मास्टरोंल भी हड़ताल करि छै सड़कि – सड़कियों पर।दुपरि क तप्यों चड़-चड़ु घाम मा। कुछ कर्मचारियों ल भी हड़ताल करि अर हड़ताल की धमकी दे छै।

पर अगर धमकी नि दे त,ये आम जनतैल नि दे भाई। न त जनता कुछ बुनी च ना ही कुछ कनी। और -त -और अपणी वोट भी नि फरकै कखि और। जनता ल अपणु दिमाग भी चलै। पर क्यांं पर ? सनातन पर। पर दिमाग त छईं च भाई जनता को।और विशेषकर महिलाओं मा त कुछ और ही दिमाग छ आयों भाई।

यों ल आपणी सनातन संस्कृति कू सद्भावना वाली नज़र अपना-अपना फोन पर इन मा टिकाईं छ ।जन कि असली सद्भावना वाली मनखे की आत्मा यों कि छ। दिनभर फोन मा रील बणणा छन ,अर चलणा भी छन।

सुबह शाम भ्वां मा जखी- तखी,कभी मंदिरों का भैर मु,कभी लोगों का ड्राइंग रूम मा, ढ़ोलकी छन बजणा और देखा दि सरकार तौं का नौनिहालों की ढो़लकी छ बजोंणी।अर सि बुना क्या छन पता ? हम त कीर्तन छन कना और किट्टी पार्टी छन कना। पर भै जी सि सुदौं टैम छन काटणा का और किट्टी पार्टी कु न से।

कुट्टी – कुट्टी पार्टी छन ख्यलणा का। आपसी मा यक्- दूसरों की काट छन लगणा का और कुछ नि। सनातन घाम छा तापणा। और कन भी क्या तौंन ? गाय बच्छी,त छा नि। बाल बच्चा भी छन त छन। पर भै जी सि बेरोजगार छन।मॉ छ सोचणी कि मेरू रोजगार त लग्यों च कीर्तन मंडली मा।

अगर मैंल भी कीर्तन मंडली छोड़ दियोंण त घर मा सबका सब बेरोजगार ह्वे जाला। तभी त छों मि डट्यों ये कीर्तन मंडली मा।अर बाकी अगनै तुम हि सोच ल्या भाई। क्या कन?

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