आज ऊखीमठ के ओंकारेश्वर मंदिर में होगी विराजमान
स्थानीय वाद्य यंत्रों, आर्मी बैंड की मधुर धुनों और हजारों भक्तों की जयकारों के बीच बाबा केदारनाथ की पंचमुखी चल विग्रह उत्सव डोली शुक्रवार देर शाम अपने द्वितीय रात्रि प्रवास के लिए गुप्तकाशी पहुंची।
गुप्तकाशी पहुंचने पर श्रद्धालुओं ने पारंपरिक ढंग से डोली का भव्य स्वागत किया। आज प्रातः डोली अपने शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर, ऊखीमठ के लिए प्रस्थान करेगी।
ओंकारेश्वर मंदिर पहुंचने के बाद बाबा केदार की भोग मूर्ति वहीं विराजमान हो जाएगी। आने वाले छह महीनों तक भक्तगण बाबा केदार के शीतकालीन दर्शन इसी मंदिर में करेंगे।
भैया दूज के दिन बंद हुए थे कपाट
गौरतलब है कि भैया दूज के पावन पर्व पर विश्व प्रसिद्ध केदारनाथ धाम के कपाट शीतकाल के लिए विधि-विधान के साथ बंद किए गए थे।
इसके बाद बाबा की पंचमुखी चल डोली धाम से अपने शीतकालीन गद्दीस्थल की ओर रवाना हुई थी।
डोली ने पहले रात्रि पड़ाव के रूप में रामपुर में विश्राम किया। शुक्रवार सुबह विशेष पूजन और आरती के बाद बाबा की डोली ने आर्मी बैंड की मधुर धुनों के बीच गुप्तकाशी के लिए प्रस्थान किया।
रास्ते में फाटा, ब्यूंग, नारायणकोटी समेत कई स्थानों पर श्रद्धालुओं ने फूल-मालाओं और जयकारों के साथ डोली का स्वागत किया। देर शाम डोली गुप्तकाशी स्थित विश्वनाथ मंदिर पहुंची, जहां धार्मिक उत्साह का माहौल देखने को मिला।
शनिवार सुबह बाबा केदार की पंचमुखी उत्सव डोली ऊखीमठ के ओंकारेश्वर मंदिर पहुंचेगी। इसी के साथ बाबा केदार की शीतकालीन यात्रा का औपचारिक शुभारंभ हो जाएगा।
अब आने वाले छह महीनों तक देश-विदेश से आने वाले भक्त ऊखीमठ स्थित ओंकारेश्वर मंदिर में बाबा केदार के दर्शन करेंगे।
बीते सालों में शीतकालीन यात्रा को लेकर क्षेत्र में धार्मिक पर्यटन तेजी से बढ़ा है। ओंकारेश्वर मंदिर के निकट स्थित प्रसिद्ध पर्यटन स्थल चोपता और चंद्रशिला के कारण भी यहां भक्तों और पर्यटकों की आवाजाही बढ़ रही है।
















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