डीएलएड में गलत जानकारी देने और दो राज्यों की निवासी प्रमाण-पत्र पर सवाल; विभाग ने जांच रिपोर्ट के आधार पर की कार्रवाई की तैयारी
उत्तराखंड शिक्षा विभाग में एक बड़ी कार्रवाई सामने आने वाली है। विभाग ने 80 से ज्यादा सहायक अध्यापकों के खिलाफ बर्खास्तगी की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
आरोप है कि इन अभ्यर्थियों ने उत्तर प्रदेश से डीएलएड करते समय स्थायी निवास की गलत जानकारी दी और बाद में उत्तराखंड में नौकरी के लिए भी खुद को स्थायी निवासी बताया। प्रथम दृष्टया मामला बड़े फर्जीवाड़े की ओर इशारा करता है।
भर्ती में गड़बड़ी
वर्ष 2024–25 में प्राथमिक विद्यालयों में 2906 सहायक अध्यापकों की भर्ती हुई थी।
जांच के दौरान सामने आया कि कुछ अभ्यर्थियों ने—
- यूपी में डीएलएड करने के लिए उसी राज्य का स्थायी निवासी होने का दावा किया
- लेकिन उत्तराखंड में भर्ती के लिए यहां का मूल निवासी प्रमाणपत्र भी प्रस्तुत किया
- यानी एक समय में दो राज्यों की निवासी पहचान, जो नियमों के विरुद्ध है
जांच हुई शुरू
शिक्षा निदेशालय ने 16 जनवरी 2025 को सभी जिलों को जांच के आदेश दिए थे।
टिहरी, पौड़ी, ऊधमसिंह नगर, हरिद्वार और नैनीताल से रिपोर्ट में कई मामलों की पुष्टि भी हुई।
विभाग का रुख:
- विभाग ने सभी आरोपित शिक्षकों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा
- एक-एक को व्यक्तिगत सुनवाई का मौका दिया गया
- अब उनके जवाब मिलने के बाद सेवा समाप्त करने की तैयारी है
शिक्षा विभाग ने क्या कहा
अजय कुमार नौडियाल, निदेशक प्रारंभिक शिक्षा, ने कहा “गलत तथ्यों के आधार पर भर्ती होने वाले शिक्षकों की सेवाएं समाप्त की जाएंगी।
यूपी में पहले केवल स्थायी निवासी ही डीएलएड कर सकते थे, ऐसे में दो राज्यों का निवास दिखाना नियमों का उल्लंघन है। विभाग इस पर सख्त कार्रवाई करेगा।”
मामले की पृष्ठभूमि
- उत्तराखंड में सरकारी शिक्षक बनने के लिए मूल निवासी होना अनिवार्य
- यूपी में डीएलएड करने वालों को केवल यूपी निवासी बनने की अनुमति
- यदि शिक्षक ने एक राज्य का स्थायी निवास सही बताया है, तो दूसरा प्रमाण अवैध माना जाएगा
















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