राष्ट्रपति भवन में हुआ शपथ समारोह; लंबित मामलों को कम करना नई CJI की पहली प्राथमिकता
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रपति भवन में आयोजित एक औपचारिक समारोह में जस्टिस सूर्यकांत को भारत के 53वें चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) पद की शपथ दिलाई।
जस्टिस सूर्यकांत ने मौजूदा CJI भूषण आर. गवई का स्थान लिया। जस्टिस गवई ने 65 वर्ष की आयु पूरी होने पर पद खाली किया।
सीनियर-मोस्ट जज को उत्तराधिकारी बनाने की परंपरा के अनुसार ही सूर्यकांत का चयन हुआ था।
जस्टिस सूर्यकांत अब लगभग 14 महीनों तक देश की सर्वोच्च अदालत का नेतृत्व करेंगे।

कौन हैं जस्टिस सूर्यकांत
जन्म: 10 फरवरी 1962, हरियाणा के मध्यमवर्गीय परिवार में
- 1984: हिसार से वकालत की शुरुआत
- चंडीगढ़ हाईकोर्ट में संवैधानिक, सर्विस, सिविल मामलों में लंबा अनुभव
- हरियाणा के सबसे कम उम्र के एडवोकेट जनरल (2000)
- 2004: पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के स्थायी जज
- 2018–2019: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश
- 2019: सुप्रीम कोर्ट में नियुक्त
- 2024: सुप्रीम कोर्ट लीगल सर्विसेज कमेटी के चेयरमैन
नई प्राथमिकताएँ: पेंडेंसी खत्म करना सबसे बड़ा लक्ष्य
शपथ लेने से पहले मीडिया से बातचीत में CJI सूर्यकांत ने कहा कि उनकी पहली प्राथमिकता होगी—
1. देशभर में लंबित मामलों में तेजी
भारतीय अदालतों पर वर्तमान में:
- 5.29 करोड़ कुल लंबित केस
- 4.65 करोड़ जिला व निचली अदालतों में
- 63.3 लाख हाईकोर्ट में
- 86,742 मामले सुप्रीम कोर्ट में
2. संविधान पीठों का गठन
उन्होंने घोषणा की कि आने वाले हफ्तों में 5, 7 और 9 जजों की Constitution Benches का गठन किया जाएगा, ताकि वर्षों से लंबित महत्वपूर्ण मामलों में प्रगति हो सके।
3. मेडिएशन (वैकल्पिक विवाद समाधान) को मजबूत करना
सूर्यकांत ने कहा कि राज्यों और केंद्र–राज्य के विवादों को कम करने के लिए कम्युनिटी मीडिएशन को व्यापक रूप से बढ़ावा दिया जाएगा।
4. AI का सीमित और नियंत्रित उपयोग
उन्होंने कहा “AI को प्रक्रियागत स्तर पर उपयोग किया जा सकता है, लेकिन हर नागरिक चाहता है कि अंतिम फैसला जज ही करें।”
















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