बेस अस्पताल में चल रहा इलाज, प्राचार्य ने पहुंचकर जाना हाल
रुद्रप्रयाग जनपद की रानीगढ़ पट्टी के कोट मल्ला गांव निवासी भरत चौधरी बुधवार सुबह भालू के हमले में गंभीर रूप से घायल हो गए।
घटना उस समय हुई जब वे सुबह टैंक से पानी खोलकर घर की ओर लौट रहे थे। जंगल के रास्ते में अचानक भालू ने उन पर हमला कर दिया।
अद्भुत साहस का परिचय देते हुए भरत चौधरी ने भालू से जमकर संघर्ष किया और शोर मचाकर उसे पीछे हटने पर मजबूर कर दिया। इस दौरान भालू के हमले से उनके एक पैर में गहरे घाव हो गए।
जिला अस्पताल से बेस अस्पताल किया गया रेफर
ग्रामीणों ने तत्काल घायल भरत चौधरी को जिला चिकित्सालय रुद्रप्रयाग पहुंचाया, जहां प्राथमिक उपचार के बाद उन्हें बेहतर इलाज के लिए श्रीकोट स्थित बेस अस्पताल रेफर किया गया।
बेस अस्पताल में सर्जरी और आर्थोपेडिक विशेषज्ञों की टीम ने उनका त्वरित उपचार शुरू किया।
प्राचार्य ने लिया स्वास्थ्य का जायजा
मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. आशुतोष सयाना स्वयं एक्स-रे कक्ष और इमरजेंसी वार्ड पहुंचे और भरत चौधरी का हालचाल जाना। उन्होंने डॉक्टरों को उचित और बेहतर चिकित्सा उपलब्ध कराने के निर्देश दिए।
पीड़ित का बयान: पेड़ पर चढ़कर बचाई जान
बेस अस्पताल में उपचाराधीन भरत चौधरी ने बताया कि रानीगढ़ पट्टी क्षेत्र में पिछले कुछ दिनों से भालू का आतंक बना हुआ है।
उन्होंने बताया,
“मैं सुबह पानी खोलकर लौट रहा था, तभी अचानक भालू ने हमला कर दिया। जान बचाने के लिए मैं पेड़ पर चढ़ा, लेकिन भालू भी पीछे-पीछे पेड़ पर चढ़ने लगा। मजबूरी में मैंने उसे लात मारी। उसी दौरान उसने मेरे पैर को मुंह में दबोच लिया और बुरी तरह घायल कर दिया। शोर मचाकर किसी तरह भालू को भगाया।”
शौर्य की पुरानी मिसाल: गुलदार से बचाई थीं दो महिलाओं की जान
भरत चौधरी की बहादुरी की कहानी नई नहीं है। वर्ष 1991 में उन्होंने घास लेने गई दो महिलाओं पर हमला करने वाले गुलदार से भिड़कर उनकी जान बचाई थी।
उनके इस अदम्य साहस के लिए तत्कालीन उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री स्व. कल्याण सिंह ने उन्हें जीवन रक्षा पदक और प्रशस्ति पत्र से सम्मानित किया था।
















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