रूस के राष्ट्रति व्लादिमीर पुतिन आज दो दिवसीय दौरे पर भारत पहुंच रहे हैं।
इस दौरान वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात करेंगे और द्विपक्षीय व वैश्विक मुद्दों पर चर्चा करेंगे।
इस दौरे के दौरान कई महत्वपूर्ण समझौतों (MoUs) पर भी मुहर लगने की संभावना है।
दौरे का महत्व और एजेंडा
पुतिन का यह दौरा 23वें India-Russia वार्षिक शिखर सम्मेलन के तहत किया जा रहा है।
दोनों देश अपनी “विशेष और विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी” की स्थिति की समीक्षा करेंगे और भविष्य की रूपरेखा तय करेंगे।
संभावित समझौते और निवेश
सूत्रों के अनुसार, इस दौरे में कई क्षेत्रों में समझौते (Agreements) होने की संभावना है:
- व्यापार, ऊर्जा, और स्वास्थ्य
- कृषि और सांस्कृतिक आदान-प्रदान
- रक्षा सहयोग और तकनीकी भागीदारी
रक्षा, ऊर्जा और व्यापार पर फोकस
रक्षा, ऊर्जा और व्यापारिक सहयोग को बढ़ावा देना इस दौरे की प्राथमिकता है।
रूस भारत में निवेश, सैन्य-तकनीकी साझेदारी और ऊर्जा आपूर्ति पर चर्चा करेगा।
भारत और रूस दोनों अपने आर्थिक संबंधों को नई दिशा देने की योजना में हैं।
अंतरराष्ट्रीय और क्षेत्रीय परिप्रेक्ष्य
यह दौरा उस समय हो रहा है जब रूस पर यूक्रेन युद्ध को लेकर अंतरराष्ट्रीय दबाव है।
इस पृष्ठभूमि में, भारत और रूस दोनों वैश्विक सुरक्षा, भू-राजनीति और आर्थिक सहयोग पर भी चर्चा करेंगे।
दिल्ली में कार्यक्रम
- 4 दिसंबर को पुतिन दिल्ली पहुंचेंगे।
- प्रधानमंत्री मोदी उनके लिए निजी डिनर आयोजित करेंगे।
- अगले दिन राष्ट्रपति भवन में औपचारिक स्वागत, राजघाट दर्शन और द्विपक्षीय वार्ता।
- व्यापारियों और उद्योगपतियों के लिए निवेश और सहयोग मंच।
क्यों अब यह दौरा जरूरी
- रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद यह पुतिन का पहला भारत दौरा।
- भारत और रूस का उद्देश्य रक्षा, ऊर्जा और व्यापार में सहयोग को मजबूत करना है।
- वैश्विक जटिलताओं और पश्चिमी दबावों के बीच भारत-रूस साझेदारी को संतुलित रखना रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है।
संभावित चुनौतियाँ
समझौतों और सहयोग की संभावना के बावजूद, वैश्विक माहौल, आर्थिक दबाव और अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों का असर इस साझेदारी पर पड़ सकता है।


















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