सीमांत जिले पिथौरागढ़ में सरकारी स्कूलों के बच्चों को भेजे गए दूध में एक्सपायरी पैकेट मिलने का मामला सामने आया है।
कक्षा एक से आठवीं तक के लगभग 12 हजार विद्यार्थियों के लिए भेजे गए दूध में कुछ पैकेटों पर पांच साल पुरानी एक्सपायरी डेट दर्ज थी।
इस मामले की जानकारी मिलते ही अभिभावकों और सामाजिक संगठनों में भारी नाराजगी फैल गई।
शिक्षा विभाग ने स्पष्ट किया कि पीएम पोषण योजना के तहत भेजे गए दूध की पूरी खेप वापस मंगाई जा रही है।
प्रत्येक विकासखंड से एक-एक पैकेट का सैंपल लेकर उन्हें खाद्य सुरक्षा विभाग की लैब में जांच के लिए भेजने के निर्देश दिए गए हैं।
जिले में कुल 6,808 दूध के पैकेटों की आपूर्ति की गई थी, जिनमें:
- 1 किलो के 5,549 पैकेट
- आधा किलो के 1,259 पैकेट शामिल थे।
इस खेप की कुल कीमत 25,33,185 रुपये बताई गई है। सभी स्कूलों को इन पैकेटों को तुरंत सील कर सुरक्षित रखने के आदेश दिए गए हैं। दुग्ध संघ नई सप्लाई भेजेगा।
जिला शिक्षा अधिकारी हरक राम कोहली ने कहा कि सभी एक्सपायरी पैकेट वापस किए जाएंगे और हर ब्लॉक से सैंपल लेकर जांच की जाएगी।
उन्होंने भरोसा दिलाया कि पूरे मामले की गहनता से जांच होगी और दोषियों पर कार्रवाई की जाएगी।
दुग्ध संघ के प्रबंधक प्रह्लाद सिंह ने बताया कि प्रारंभिक जांच में यह मामला प्रिंटिंग गलती का प्रतीत होता है, फिर भी पूरी खेप वापस ली जाएगी और नई सप्लाई भेजी जाएगी।
जांच में सामने आए गंभीर पहलू
जांच में यह भी पता चला कि कुछ पैकेटों पर मैन्यूफैक्चरिंग और एक्सपायरी डेट गड़बड़ तरीके से छपी हुई थी, जिससे यह संदेह पैदा होता है कि दुग्ध संघ की गुणवत्ता जांच प्रणाली में लापरवाही बरती जा रही है।
गनीमत रही कि समय रहते यह गलती पकड़ में आ गई, अन्यथा बच्चों के स्वास्थ्य पर गंभीर असर पड़ सकता था। अब यह ना बाकी है कि जांच के बाद दोष दुग्ध संघ पर निकलेगा या शिक्षा विभाग की निगरानी व्यवस्था में लापरवाही।
















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