विश्व जल दिवस: पहाड़ की जीवनधारा नौले-धारे के संरक्षण व सुरक्षित हेतु जागरूकता कार्यक्रम

22 मार्च 2025 को डालियों का दगड़िया (डीकेडी) संस्था, श्रीनगर गढ़वाल द्वारा जाखणीधार विकासखण्ड, टिहरी गढ़वाल जनपद के 15 गांवों में विश्व जल दिवस हर्षों उल्लास के साथ में मनाया गया।

15 गांवों जिसमें घोल्डियानी, मंदार, भटवाड़ा, म्यूण्डी, कंगसाली, तुनियार, कफलोग, कठूली, खोला, सिलोली, कोटचौरी, सांदणा, नेल्डा, पटूड़ी तथा भौनियाड़ा के कुल 810 जिसमें धारा बचाव समिति, समुदाय के प्रतिनिधि, महिला किसान, युवा और बच्चों ने बढ़-चढ़कर प्रतिभाग किया।

कार्यक्रम के अन्तर्गत बच्चों, युवाओं, धारा बचाव समिति के सदस्य और समुदायों के प्रतिनिधियों द्वारा अपने -अपने गांवों के पारम्परिक जल स्रोतों को बचाने के लिए संकल्प लिया।

डालियों के दगड़िया संस्था द्वारा 15 गांवों में वर्ष 2023-24 में भूजल पानी संरक्षण हेतु 1500 पौधों जिसमें बांज, कचनार, फलियाट, बहेड़ा, तेजपत्ता तथा आंवला का वृक्षारोपण समुदायों के आपसी सहयोग से किया गया था।

साथ ही संस्था द्वारा 15 गांवों के पारम्परिक जलस्रोतों के पानी के संरक्षण व संवर्धन हेतु 300 रिचार्ज पिट, 750 ट्रन्चेज तथा 30 चालखाल तकनीकियों का निर्माण भी करवाया गया था।

कार्यक्रम के शुभ अवसर पर 15 गांवों के प्रतिभागियों द्वारा अपने अपने गांवों के वृक्षारोपण किए गए वृक्षों के चारों ओर थाले बनाकर उसमें पानी व जैविक खाद को डालने का कार्य किया गया।

उपस्थित प्रतिभागियों द्वारा यह प्रण लिया कि वह 1500 पौधों को समय-समय पर पानी व खाद डालकर उनको जीवित, स्वस्थ और सुरक्षित रखेंगे।

समुदाय आधारित जलवायु समिति (सीबीसीआरसी) सचिव ममता रावत ने कहा कि, पानी हम सभी के लिए जीवनरेखा है। आज भी हमारे पहाडों में कई ऐसे गांव है जो कि पानी की समस्या से जूझ रहे है।

इसके लिए हम सभी को मिलजुल अपने-अपने गांवों के प्राकृतिक जलस्रोतों की सुरक्षा के लिए नई पीढ़ी को जोड़कर प्राकृतिक जलस्रोतों की साफ-सफाई तथा हर साल कम से कम 20 पेड़ों का वृक्षारोपण कार्य करने चाहिए, जिससे आने वाले समय में हमारी नई पीढ़ी को जलसंकट का सामना न करना पड़े।

वन पंचायत सरपंच तथा धारा बचाव समितिअध्यक्ष लक्ष्मी देवी ने कहा कि प्राकृतिक जलस्रोतों को बचाना बहुत जरूरी है क्योंकि ये हमारी जीवनदायनी होने के साथ-साथ पारम्परिक संस्कृति का भी हिस्सा है।

उन्होंने कहा कि आज से 20 वर्ष पूर्व विवाह संस्कार में दूल्हा-दुल्हन गांव के जलस्रोतों की पूजा करने के साथ ही उसके संरक्षण की भी शपथ लेते थे और उसका पालन भी किया करते थे। किन्तु आज समय के साथ यह परम्परा समाप्त होने लगी है। इसलिए अब बहुत ही जरूरी हो गया है कि युवा पीढ़ी इस परम्परा को बनाए रखने के लिए पहल करें।

सामाजिक कार्यकर्त्ता तथा धारा बचाव समिति, कंगसाली भगवान सिंह ने अपने गांव में विश्व जल दिवस को युवाओं और समुदाय के सदस्यों के साथ मिलजुल कर मनाते हुए कहा कि हमारे गांव के प्राकृतिक स्रोत पेयजल व सिंचाई के मुख्य साधन थे।

आज से 20 साल पहले हमारे गांव में 20 से भी ज्यादा प्राकृतिक स्रोत हुआ करते थे किन्तु आज सिर्फ 03 ही जलस्रोत शेष रह गए है जिसमें अप्रैल से जून में पीने की पानी की भारी किल्लत हो जाती है।

गांव की महिलाओं को पानी लेने दूसरे गांवो में जाना पड़ता था। डालियों का दगड़िया संस्था का धन्यवाद देते हुए कहा कि वर्ष 2023 में धारी नाम तोक जलस्रोत के संरक्षण व संवर्धन हेतु 20 रिचार्ज पिट, 50 ट्रन्चेज और 02 चालखाल का निर्माण किया गया था साथ ही 100 भूजल संरक्षण हेतु पौधों का वृक्षारोपण गतिविधियां करवाई गई थी।

इन नई तकनीकियों के माध्यम से आज हमारे धारे का पानी धीरे -धीरे बढ़ रहा है, जो कि हम सभी गांव के लोगो के लिए भविष्य में पानी के संकट से रोकने का कार्य कर रहा है। उन्होने कहा कि हम सभी मिलजुल कर अपने अन्य धारों के पानी को बढ़ाने के लिए इस तकनीकियों का प्रयोग करेंगे।

विश्व जल दिवस के अवसर पर परियोजना क्षेत्र के 15 गांवों के प्रतिभागियों द्वारा संकल्प लिया गया कि सालभर में 22 मार्च को एक बार जल दिवस मनाया जाता है किन्तु हम सभी मिलजुल समय-समय पर एक साल में कई बार जल दिवस कार्यक्रम का आयोजन कर उसमें अपने धारा बचाव के लिए वृक्षारोपण, साफ-सफाई व जागरूकता गतिविधियों को करते रहेंगें।

https://youtu.be/sLJqKTQoUYs?si=bBBN1xRRcBG6DFDq
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