भालुओं और जंगली जानवरों के बढ़ते हमलों के बीच ग्रामीणों में चिंता और प्रशासन पर दबाव
उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में भालुओं और अन्य जंगली जानवरों की गतिविधियाँ बढ़ गई हैं।
वन विभाग के अनुसार, जब तक पहाड़ों में बर्फबारी शुरू नहीं होती और भालू हाइबरनेशन (शीतनिद्रा) में नहीं चले जाते,
तब तक उनका मूवमेंट स्थिर रहता है।
इस बीच उनके आवागमन से बच्चों और ग्रामीणों के सामने हमलों का खतरा बड़ा हुआ है।
बता दें कि, कर्णप्रयाग ब्लॉक के जयपुर कोल्सों क्षेत्र से एक बेहद चिंताजनक वीडियो सामने आया है,
जिसने पूरे क्षेत्र में दहशत फैला दी है।
वीडियो में स्कूली बच्चे कैमरे के सामने अपने अनुभव बताते हुए साफ़ कह रहे हैं कि वे तीन भालुओं के सामने से बाल-बाल बचकर भागे।
यह घटना बच्चों और उनके अभिभावकों के लिए किसी सदमे से कम नहीं है।
ग्रामीणों की आपत्ति
स्थानीय लोगों ने वन विभाग और जिला प्रशासन से कहा है कि भालुओं की बढ़ती गतिविधियों के कारण स्कूल परिसर और रास्तों पर बच्चों का जाना जोखिम भरा हो गया है।
ग्रामीणों ने कहा है:
- भालुओं की दृष्टि से संवेदनशील मार्गों पर पेट्रोलिंग हो
- भालू मूवमेंट जोन की पहचान की जाए
- बच्चों के लिए सुरक्षित मार्ग या वाहन व्यवस्था बनाई जाए
- स्कूलों के समय में बदलाव किया जाए
उन्होंने सोशल मीडिया पर इस मुद्दे को साझा करने और प्रशासन तक आवाज़ पहुँचाने की अपील की है।
भालुओं और जंगली जानवरों से हमला, स्कूलों से जुड़ी घटनाएँ
उत्तराखंड में हाल ही में कई जगह भालू और गुलदारों से हमलों की खबरें आई हैं।
- पिथौरागढ़ के खिर्सू में अग्निवीर की तैयारी कर रहे दो युवकों पर भालू ने हमला किया, जिससे वे गंभीर रूप से घायल हो गए।
- रुद्रप्रयाग में भालू ने कई महिलाओं को घायल किया, जिससे लोगों में डर है।
- गैजाल्ड गांव में एक व्यक्ति गुलदार के हमले में मारा गया। प्रशासन ने उस क्षेत्र के कई स्कूलों को अस्थायी रूप से बंद करने का निर्णय लिया था।
इन घटनाओं ने ग्रामीणों में खौफ बढ़ाया है और लोगों को बाहर निकलने से रोक दिया है।
प्रशासन और वन विभाग की प्रतिक्रिया
वन विभाग और जिला प्रशासन अब संवेदनशील इलाकों में पेट्रोलिंग और जंगली जानवरों के मूवमेंट पर नजर रख रहे हैं।
वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारी कह चुके हैं कि भालुओं के शीतनिद्रा तक सक्रिय रहने के कारण उनकी
गतिविधियाँ सामान्य से अधिक हैं और इसी वजह से मानव-वन्यजीव संघर्ष बढ़ा है।
वे ग्रामीणों को प्रतिवर्ष भालुओं की गतिविधियों के प्रति सचेत रहने की सलाह दे रहे हैं।
विश्लेषण: बदलते मौसम और भालुओं का व्यवहार
विशेषज्ञ बताते हैं कि भालुओं का चलन न केवल भोजन की तलाश बल्कि
मौसम में बदलाव से भी प्रभावित होता है।
तापमान में परिवर्तन और पारिस्थितिक बदलावों के कारण भालुओं का व्यवहार बदल रहा है
और वे पहाड़ों के निचले इलाकों और human settlements के करीब आ रहे हैं,
जिससे हमलों की घटनाएँ बढ़ रही हैं।



















Leave a Reply