हिमालयी श्रेत्र में भी है इस प्रणाली को उपयोग करने की जरूरत
डा. अतुल शर्मा
रुस के कामचटका मे बुधवार को सुबह शक्तिशाली भूकंप के बाद समुद्र मे क ई फुट ऊची लहरे उठी। सुनामी की लहरो मे घर बह गये। समय रहते लोगो को सुरक्षित स्थानो पर पहुचाया गया।
भूकंप चेतावनी प्रणाली ने बचाई जान
प्रणाली ऐसी है कि धरती के नीचे सैंसर लगाये जाते है। जो भूकंपीय तंरगे रिकॉर्ड करते है। प्रणाली भूकंप की लहर को ही रिकॉर्ड कर लेती है । और तुरंत एलर्ट भेजती है। मोबाइल टीवी साएरन से अलर्ट की सूचना दे दी जाती है।
ये जापान मैक्सिको अमेरिका के कुछ राज्य चिली तुर्क गये ताइवान न्यूजीलैंड जैसे देशो मे इसका प्रयोग होता है।
राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केन्द्र विशेष रुप से हिमालयी श्रेत्र मे इसे लगाने पर विचार कर रही है।
हिमालय भूकंपीय श्रेत्र मे आता है। मध्य हिमाचल मे उत्तराखण्ड भूकंपीय ज़ोन मे आता है।
1990 – 1991 मे उत्तरकाशी चमोली मे भीषण भूकंप हमारे सामने ही आया था। इसका केन्द्र अगोड़ा बताया गया था। बहुत नुक्सान हुआ था।
पहले भी यहाँ भूकंप आये हैं ।
तो यहाँ बहुत संवेदनशील तरह से योजनाओं को बनाया जाना चाहिए। वैसे ही मकान होने ज़रुरी हैं।
भूकंपीय तरंगे रिकॉर्ड करने की प्रणाली यहां लगनी ही चाहिए।
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