स्कूल को ठहराया जिम्मेदार
क्लास में लगातार बुलिंग, शिक्षकों की लापरवाही और सुरक्षा खामियों को रिपोर्ट में गंभीर चूक बताया गया
जयपुर के नीरजा मोदी स्कूल में 1 नवंबर को कक्षा 6 में पढ़ने वाली 9 वर्षीय छात्रा द्वारा किए गए आत्महत्या के मामले में केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) की जांच रिपोर्ट सामने आ गई है।
रिपोर्ट में स्कूल को सुरक्षित वातावरण उपलब्ध कराने में विफल बताते हुए कई गंभीर खामियों की ओर इशारा किया गया है।
डेढ़ साल से मानसिक प्रताड़ना झेल रही थी बच्ची
CBSE की फैक्ट-फाइंडिंग कमेटी के अनुसार, बच्ची डेढ़ साल से लगातार क्लासमेट्स द्वारा मानसिक उत्पीड़न और बुलिंग का सामना कर रही थी। रिपोर्ट में कहा गया कि:
- साथ पढ़ने वाले बच्चे उसे गालियां देते थे,
- बार-बार अपमानित करते थे,
- और शिक्षकों व स्कूल प्रशासन ने शिकायतों के बावजूद कोई ठोस कार्रवाई नहीं की।
बोर्ड ने बताया कि जुलाई 2024 में बच्ची के माता-पिता ने स्कूल को बुलिंग की औपचारिक सूचना दी थी, लेकिन क्लास टीचर और मैनेजमेंट ने मामला टाल दिया।
CBSE ने स्कूल को जारी किया कारण बताओ नोटिस
जांच रिपोर्ट के आधार पर CBSE ने स्कूल को शो-कॉज नोटिस जारी किया है। नोटिस में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि स्कूल ने बार-बार मिली शिकायतों के बावजूद बुलिंग रोकने के लिए किसी तरह की कार्रवाई नहीं की।
बोर्ड ने कहा कि “माता-पिता के बयान बताते हैं कि स्कूल को छात्रा पर हो रहे उत्पीड़न की जानकारी थी, बावजूद इसके क्लास टीचर और प्रशासन पूरी तरह निष्क्रिय रहे।”
शिकायतों को नजरअंदाज करता रहा स्कूल
जांच में यह भी सामने आया कि:
- माता-पिता ने डेढ़ साल में तीन से अधिक बार शिकायतें कीं,
- कई छात्र पहले भी क्लास में “गलत शब्दों” के प्रयोग की शिकायत कर चुके थे,
- लेकिन एंटी-बुलिंग कमेटी ने कभी बच्ची के परिवार से संपर्क नहीं किया।
एक शिकायत में तो टीचर ने पिता को यह कहकर टाल दिया कि बच्ची को “थोड़ा एडजस्ट” करना चाहिए।
घटना वाले दिन हुआ क्या
CBSE रिपोर्ट के मुताबिक:
- उस दिन छात्रा सुबह सामान्य मूड में स्कूल पहुंची थी।
- 11 बजे के बाद कुछ बच्चों ने डिजिटल बोर्ड पर ऐसा कंटेंट लिखा/दिखाया जिससे वह शर्मिंदा हो गई।
- सीसीटीवी में बच्ची पांच बार क्लास टीचर के पास मदद मांगते हुए दिखी, लेकिन उसे सहायता नहीं मिली।
सुरक्षा और इंफ्रास्ट्रक्चर में भी गंभीर खामियां
जांच में स्कूल की सुरक्षा तैयारियों में कई बड़ी खामियां मिलीं:
- सीसीटीवी की मॉनिटरिंग सही से नहीं होती थी।
- घटना वाले फ्लोर पर कोई अटेंडेंट मौजूद नहीं था।
- जिस रेलिंग से बच्ची गिरी, वह आसानी से चढ़ने लायक थी।
- स्कूल में तय दिशा-निर्देशों से ज्यादा फ्लोर थे।
- मनोवैज्ञानिक सहायता प्रणाली मौजूद होने के बावजूद उसका उपयोग नहीं किया गया।
















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